Nipah Virus : केरल में निपाह वायरस को लेकर अलर्ट जारी हुआ है। यहां दो अन-नचुरल मौतों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इसकी वजह निपाह वायरस ही है, जिसके बाद से ही राज्य में हड़कंप मच गया है।
दोनों की मौत प्राइवेट अस्पताल में हुई है। हालांकि, इसे लेकर लोगों की चिंता भी काफी बढ़ गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बीमारी का नाम मलेशिया के एक गांव में रखा गया था। यहां पर इसका पहला केस मिला था।
आइए जानते हैं Nipah Virus से जुड़ी वह सभी बातें, जो आपके लिए जानना जरूरी हैं।
निपाह वायरस क्या है
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक निपाह वायरस, एक जानलेवा वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। यही वजह है कि इसे जूनोटिक वायरस भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से फ्रूट बेट्स से फैलता है, जिसे उड़ने वाली लोमड़ी (flying fox) के नाम से भी जाता है।
हालांकि, चमगादड़ के अलावा यह वायरस सूअर, बकरी, घोड़े, कुत्ते या बिल्ली जैसे अन्य जानवरों के जरिए भी फैल सकता है। यह वायरस आमतौर पर किसी संक्रमित जानवर के शारीरिक तरल पदार्थ जैसे खून, मल, पेशाब या लार के संपर्क में आने से फैलता है।
कहां पाया जाता है निपाह वायरस
लगभग हर साल एशिया के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में Nipah Virus का प्रकोप देखने को मिलता है। सबसे पहले इसकी खोज साल 1999 में हुई थी, जहां इस वायरस की वजह से मलेशिया और सिंगापुर में 100 लोगों की मौत हो गई थी।
इस वायरस के प्रति संवेदनशील देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड आदि शामिल हैं।
लक्षण क्या हैं निपाह वायरस के
आमतौर पर इस वायरस के संपर्क में आने के 4 से 14 दिनों के अंदर लक्षण नजर आने शुरू हो जाते हैं। शुरुआत में पहले बुखार या सिरदर्द और बाद में खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं होती हैं।
निपाह वायरस के शुरुआती लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं
- बुखार
- सिरदर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- खांसी और खराब गला
- दस्त
- उल्टी
- मांसपेशियों में दर्द
- बहुत ज्यादा कमजोरी
गंभीर मामलों में, यह वायरस दिमाग में संक्रमण की वजह बन सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है। इसके गंभीर मामलों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
- कन्फ्यूजन
- बोलने में परेशानी
- दौरे पड़ना
- बेहोशी छाना
- रेस्पिरेटरी संबंधी दिक्कत
निपाह वायरस का इंसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है
इंसानों के लिए निपाह वायरस जानलेवा साबित हो सकता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस के 40% से 75% मामलों में मृत्यु हो सकती है।
हालांकि, मौत का आंकड़ा इस बात पर भी निर्भर करता है कि इस बीमारी से बचाव के लिए स्वास्थ्य अधिकारी किस तरह इसे मैनेज कर रहे हैं।
क्या निपाह वायरस संक्रामक है
जी हां, निपाह वायरस संक्रामक है। यह लार, मल, पेशाब और खून जैसे शारीरिक तरल पदार्थों के जरिए फैल सकता है। इसका मतलब है कि अगर आप निपाह वायरस से पीड़ित किसी व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो पीड़ित के खांसने या छींकने से आपको भी यह संक्रमण हो सकता है। यही वजह है कि यह वायरस वायुजनित यानी एयरबॉर्न भी है।
निपाह वायरस का कारण क्या है
Nipah Virus का पहला मामला तब सामने आया जब संक्रमित सुअरों के संपर्क में आने से लोग बीमार पड़ने लगे। इसके बाद विशेषज्ञों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि मूल सोर्स के रूप में चमगादड़ से ही यह वायरस सूअरों तक पहुंचा था। अगर कोई व्यक्ति या जानवर किसी संक्रमित चमगादड़ या सुअर के तरल द्रव जैसे खून,मल,पेशाब या लार के संपर्क में आते हैं, यह उन्हें भी संक्रमित कर देगा। इसके अलावा संक्रमित जानवरों के तरल पदार्थ से दूषित फूड आइटम्स के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।
कैसे करें निपाह वायरस का निदान
अगर आपको ऊपर बताए निपाह वायरस के कोई लक्षण लंबे समय से नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट की मदद से इन वायरस का निदान कर सकते हैं। इस टेस्ट के लिए निम्न शारीरिक तरल पदार्थों की जरूरत पड़ती है।
- नाक या गले का म्यूकस
- सेरेब्रास्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ)
- यूरिन सैंपल
- ब्लड सैंपल
क्या है निपाह वायरस का इलाज
Nipah virus का इलाज करने के लिए कोई वैक्सीन या दवा मौजूद नहीं है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख इसके लक्षणों का असर कम किया जाता है, जो कि निम्न हैं-
- बहुत सारा पानी पीना
- भरपूर आराम करना
- एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन लेना (डॉक्टर की सलाह से ही लें)
- मतली या उल्टी के लिए दवाओं खाना
- सांस लेने में कठिनाई होने पर इन्हेलर या नेब्युलाइज़र का इस्तेमाल
- दौरे पड़ने पर एंटीसीजर दवाएं लेना