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नीति आयोग के सदस्य बोले- वैक्सीन सुरक्षित, अपने उत्पादों पर भरोसा रखें : पॉल

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नई दिल्ली: कोविड-19 टीकाकरण अभियान से जुड़ी आशंकाओं को दूर करते हुए नीति अयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी.के. पॉल ने शनिवार को जोर दिया कि लोगों को सरकार द्वारा प्रदान किए गए टीकों (वैक्सीन) को स्वीकार करना चाहिए और सुरक्षा मानकों से जुड़ी अपनी आशंकाओं को दूर करना चाहिए।

वैक्सीन रणनीति पर एक सरकारी पैनल का नेतृत्व करने वाले पॉल ने कोवैक्सीन का हवाला देते हुए कहा कि लोगों को घर के बने (मेड इन इंडिया) उत्पादों और प्रौद्योगिकी पर विश्वास रखना होना चाहिए।

पॉल को राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के पहले दिन शनिवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोवैक्सीन की पहली खुराक दी गई।

पॉल ने वैक्सीन की पहली खुराक पाने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, मैंने शॉट ले लिया है, यह कोवैक्सीन थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, शानदार। मैं चिंतामुक्त हूं।

वैक्सीन उपलब्ध होने पर उन्होंने कहा, भारत एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है, जहां कोविड-19 के खिलाफ अंतिम लड़ाई एक अतिरिक्त और गेमचेंजिंग टूल, यानी वैक्सीन के साथ लड़ी जा सकती है।

उन्होंने कोविड-19 महामारी से पार पाने के लिए वैक्सीन को एक महान उपकरण यानी ग्रेट टूल बताया।

पॉल ने देश में 3,000 वैक्सीन साइट के धीरे-धीरे बढ़ने को लेकर भी आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा, यह केवल समय की बात है।

आप छोटे स्तर पर शुरुआत करना चाहते हैं, इसलिए हम 3,000 के साथ शुरू कर रहे हैं और अगले दो हफ्तों में ही यह संख्या 5,000 तक बढ़ जाएगी।

पॉल ने कहा कि सात से आठ महीनों में 30 करोड़ लोगों को कवर करने के लिए इसकी संख्या बढ़ती रहेगी।

पॉल ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है और वास्तविक चुनौती पांच से छह महीनों के अंदर 50 से अधिक उम्र के लोगों को टीकाकरण करने में होगी, जिनकी संख्या 26 करोड़ से अधिक है।

पॉल ने कहा कि यह हमारी क्षमता और काबिलियत का एक वास्तविक परीक्षण होगा। उन्होंने कहा, भारतीय उत्पाद का उपयोग करके भारत इसे आसानी से कर सकेगा।

टीकों की सुरक्षा को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को लेकर पॉल ने माना कि इसके लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है और उन्होंने टीकाकरण अभियान के शुरुआती दिन खुद कोवैक्सीन ली है।

पॉल ने कहा, लोगों को स्वदेशी टीकों के बारे में गर्व महसूस करना चाहिए।

सरकार जो टीके उपलब्ध करा रही है, उन्हें लोगों को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि वे लोगों, समाज और देश के लिए ही हैं।

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