रांची/नई दिल्ली: मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने कहा कि राज्य में सिंचाई की सुविधाओं का घोर अभाव है एवं मात्र 20 प्रतिशत भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
राज्य में पांच लाख Hectare kharif की भूमि अपलैंड की श्रेणी में आती है, जिस पर फसलों में विविधता लाई जा सकती है बशर्ते कि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
राज्य में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन की असीम संभावना है। झारखंड राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए।
सोरेन ने कहा कि बागवानी (gardening) के क्षेत्र में विस्तार के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना लागू की है।
25,000 एकड़ में बागवानी की प्रारम्भिक गतिविधियों को कराया जा रहा है
इस योजना के क्रियान्वयन से जहां राज्य के गरीब किसान परिवारों को आजीविका का स्थायी अवसर दिया जा रहा है।
एक बड़े क्षेत्रफल में परती टांड भूमि का बेहतर प्रबंधन व उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 60,000 एकड़ टांड भूमि में आम एवं मिश्रित बागवानी (Mango and mixed horticulture) सफलतापूर्वक की जा चुकी है।
इस वित्तीय वर्ष में 25,000 एकड़ में बागवानी की प्रारम्भिक गतिविधियों को कराया जा रहा है।
इससे किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष औसतन 25,000 से 30,000 रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है।