नई दिल्ली: उत्तर रेलवे ने कार्य प्रगति की संरक्षा गतिशीलता बढ़ाने और समयपालनबद्धता पर ध्यान केंद्रितगति सीमा बढ़ाने और चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर चर्चा की समीक्षा बैठक की।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने सोमवार को उत्तर रेलवे के विभागाध्यक्षों और मंडल रेल प्रबंधकों के साथ वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक में उत्तर रेलवे की कार्य-प्रगति की समीक्षा की।
बैठक में संरक्षा, गतिशीलता में वृद्धि, समयपालनबद्धता और मालभाड़ा व्यापार पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में उन्होंने कहा कि संरक्षा उत्तर रेलवे की प्राथमिकता है।
महाप्रबंधक ने पिछले सप्ताह हुई विभिन्न घटनाओं पर भी चर्चा की। पटरियों और वैल्डों की दरारों, समपरों, याडरें में अवपथन की घटनाओं और ओएचई की विफलताओं पर विस्तार से चर्चा की गयी।
बैठक में जानकारी दी गई कि इस साल फरवरी तक 688.55 किलोमीटर सेक्शनों में गतिसीमा को बढ़ाया गया और 433.31 किलोमीटर लूप लाइनों में गतिसीमा को 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाया गया।
नई दिल्ली-मुम्बई और नई दिल्ली-हावड़ा रेल मार्गों पर गतिसीमा को 160 किलोमीटर प्रति घंटा के स्तर को छुआ गया। जोन का वर्तमान समयपालनबद्धता का औसत 85 फीसदी रहा।
मेल व एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की समयपालनबद्धता को बेहतर बनाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गयी। बेहद कठिन जलंधर-पठानकोट-जम्मूतवी, कठुआ-माधोपुर सेक्शन, उतरेटिया-रायबरेली और रायबरेली-अमेठी व आलमनगर-उतरेटिया, रोजा-सीतापुर, जौनपुर-अकबरपुर, बाराबंकी-अकबरपुर और राजपुरा-बठिंडा की परियोजनाओं पर विचार-विमर्श किया गया।
स्टेशनों, फुट-ओवर-ब्रिजों, प्लेटफॉर्मों के लेवल और शैल्टरों को बढ़ाने जैसे विषयों को भी बैठक में उठाया गया। महाप्रबंधक ने लोको, कोचों और वैगनों की अनुरक्षण स्थितियों पर और उनके समय से टर्न-अराउंड पर भी बातचीत की। इसके अलावा बैठक में कर्मचारी मामलों, प्रशिक्षण, मेंटेनेंस और नियुक्तियों इत्यादी विषयों पर भी चर्चा की गई।