HomeUncategorizedअब दुनिया विचारों से नहीं टेक्नोलॉजी से बदल रही है: हरिवंश

अब दुनिया विचारों से नहीं टेक्नोलॉजी से बदल रही है: हरिवंश

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इन्दौर: टेक्नोलॉजी बेहद खतरनाक है, जो हमारे मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों पर ग्रहण लगा रही है।

इससे बचने की जरूरत है। पहले दुनिया विचारों से बदलती थी, लेकिन अब टेक्नोलॉजी से बदल रही है।

पहले हमारे सबसे बड़े विचारों के पुंज काशी, प्रयाग, पाटलिपुत्र हुआ करते थे, लेकिन अब सिलिकॉन वैली, हैदराबाद पुणे जैसे स्थान हो गए हैं।

यह विचार राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के हैं, जो उन्होंने इन्दौर प्रेस क्लब के 60वें स्थापना दिवस पर जाल सभागृह में आयोजित सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता ने की। विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया। यह व्याख्यान मूर्धन्य पत्रकार राजेंद्र माथुर की स्मृति में किया गया था।

इस अवसर पर पत्रकारिता की स्वर्णिम यात्रा पूर्ण कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों का सम्मान किया गया। मंच पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस वी.एस. कोकजे, सांसद शंकर लालवानी, दे.अ.वि.वि. की कुलपति डॉ. रेणी जैन विशेष रूप से मौजूद थे।

अपने धाराप्रवाह संबोधन में हरिवंश ने भाषाई पत्रकारिता के इतिहास के साथ हिंदी पत्रकारिता की मूर्धन्य पत्रकार स्व. राजेंद्र माथुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को विस्तार से रेखांकित करते हुए कहा कि आज दुनिया एक छोटे से गांव में तब्दील हो चुकी है।

इस समय हमें ऐसे अखबारों के प्रकाशन की आवश्यकता है, जो विचारों से संपन्न होने के साथ उसकी प्रमाणिकता हो। क्योंकि सोशल मीडिया के दौर में आज प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता भी संकट के दौर से गुजर रही है। उन्होंने आगे कहा कि राजेंद्र माथुर ऋषितुल्य पत्रकार थे।

उनकी दूरदृष्टि थी, और उन्होंने उन विषयों पर भी अपनी कलम चलाई जिस पर लोग लिखने से डरते थे। आज हमें उनके पदचिह्नों पर चलने की जरूरत है। 50 वर्ष पहले रज्जू बाबू ने वंशवाद के खिलाफ लिखा था और आज वह बात सही साबित हुई।

आज हिंदी पत्रकारिता में भी विश्वसनीयता का संकट : पद्मश्री आलोक मेहता

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता ने कहा कि इन्दौर से मेरा गहरा रिश्ता रहा है और मूर्धन्य पत्रकार राजेंद्र माथुर मेरे गुरु रहे हैं।

उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने ही मुझे बड़े-बड़े स्थानों पर रिपोर्टिंग के लिए भेजा। उन्होंने आगे कहा कि आज जरूरत इस बात है कि हम ग्रामीण और जिला स्तर पर स्थानीय समाचार पत्र निकालें, ताकि वे छोटे और कमजोर लोगों को शिक्षित होने के साथ उन्हें जागरूक भी करें। राजेंद्र बाबू की सोच भी यही थी।

यह सोच एकदम गलत है कि जिनके हाथों में मोबाइल या स्मार्ट फोन है वे राष्ट्रीय जानकारियों से बहुत अधिक अपडेट हैं।

आज हिंदी पत्रकारिता में भी विश्वसनीयता का संकट है, इस संकट को दूर करने के लिए जरूर है कि हम रज्जू बाबू जैसे श्रेष्ठ संपादकों के मार्गदर्शन में मूल्य आधारित पत्रकारिता करें।

एक दौर था जब हिंदी अखबारों को बाइबिल और गीता की तरह पढ़ा जाता था

विषय का प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि इन्दौर केवल एक शहर नहीं एक संस्कार, परम्परा, मिसाल और अनुकरण है, जिसने सफाई के क्षेत्र में पूरे देश में एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसकी चर्चा विदेशों तक में है।

अत: सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद जैसे विषय पर चर्चा करने के लिए इन्दौर से बेहतर कोई दूसरा मंच नहीं हो सकता।

यह सही है कि आज प्रिंट मीडिया भी विश्वसनीयता के संकट से गुजर रहा है। इसके लिए केवल अखबार ही नहीं पाठक भी जिम्मेदार हैं, जो चाय की पत्ती और बाल्टी की लालच में अपनी रुचि का अखबार कुर्बान कर देता है।

यदि हमें प्रिंट मीडिया को बचाने है तो पाठकों को त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक दौर था जब हिंदी अखबारों को बाइबिल और गीता की तरह पढ़ा जाता था, लेकिन अब उसकी विश्वसनीयता पर ग्रहण लगता जा रहा है।

जब 36 रुपए किलो का कागज 80 रुपए किलों में मिलेगा तब अखबार मालिक की भी मजबूरी बन जाती है कि वह जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों से अधिक उद्योगों से जुड़ी खबरों को महत्व दें।

वरिष्ठ पूर्व महाधिवक्ता एवं समाजसेवी आनंद मोहन माथुर ने कहा कि मूर्धन्य पत्रकार राजेंद्र माथुर हमेशा सत्य के साथ थे।

देश में जब आपातकाल लगा तो उन्होंने अपने अखबार में विरोधस्वरूप संपादकीय स्थान को खाली छोड़ दिया था। रज्जू बाबू ही थे जिन्होंने एक प्रकरण में अपनी पत्रकारिता को किसी भी बड़े व्यक्ति के आगे झुकने नहीं दिया था।

‘ऑफ द रिकार्ड’ का जितना पालन इन्दौर की मीडिया ने किया है, उतना अन्यत्र शायद ही होता हो

इन्दौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इन्दौर प्रेस क्लब के 60वें स्थापना दिवस के मौके पर मैं बहुत गौरव का अनुभव कर रहा हूं।

यह दिन हमारे संस्थापकों में से एक हिन्दी के मूर्धन्य पत्रकार राजेन्द्र माथुर व सिटी रिपोर्टिंग के पितामह गोपीकृष्ण गुप्ता का पुण्य स्मरण दिवस भी है।

हम इन दोनों महान व्यक्तित्व को इस मौके पर अपने श्रद्धासुमन भी अर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता की नर्सरी कहे जाने वाले इन्दौर के इस प्रेस क्लब ने यदि देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है तो इसका श्रेय आप सभी को है।

आप सबको तो पता है ही कि देश में हमारे प्रेस क्लब की अहमियत ऐसी रही है कि चाहे जिस दल के जनप्रतिनिधि हों, चाहे जिस सरकार के नुमाइंदे हों, उनकी प्राथमिकता में भोपाल या अन्य बड़े शहरों की अपेक्षा इन्दौर प्रेस क्लब हमेशा सूची में प्रथम रहता है।

इसकी वजह यह भी है कि इस संस्था में आकर उनके कार्य-व्यवहार-विभागीय कामकाज को प्रेस से चर्चा में जो राष्ट्रीय ख्याति मिलती वह उनके व्यक्तित्व को भी ऊंचाइयां प्रदान करती रही हैं।

खबर के प्रति इन्दौर की मीडिया की जो प्रतिबद्धता रही है, उसके मूल में इन्दौर प्रेस क्लब के संस्कार हैं। ‘ऑफ द रिकार्ड’ का जितना पालन इन्दौर की मीडिया ने किया है, उतना अन्यत्र शायद ही होता हो।

इसके साथ ही पत्रकारिता की स्वर्णिम यात्रा पूर्ण कर चुके सम्मानित होने वाले इन्दौर प्रेस क्लब मार्गदर्शक हमारे वरिष्ठ पत्रकार साथियों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।

इसके पूर्व आज सुबह इन्दौर प्रेस क्लब संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष स्व. राजेंद्र माथुर की पलासिया स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें स्मरण किया।

इन वरिष्ठ पत्रकारों का हुआ सम्मान

इन्दौर प्रेस क्लब के 60वें स्थापना दिवस समारोह में ऐसे कलमकारों का सम्मान किया, जिन्होंने पत्रकारिता के पांच दशक पूर्ण कर लिए, जिनमें पद्मश्री अभय छजलानी, विमल झांजरी, कृष्णकुमार अष्ठाना, उमेश रेखे, महेश जोशी, श्रवण गर्ग, सुरेश ताम्रकर, रवीन्द्र शुक्ला, श्रीकृष्ण बेडेकर, ब्रजभूषण चतुर्वेदी, शशिकांत शुक्ल, बहादुरसिंह गेहलोत, विद्यानंद बाकरे, कृष्णचंद दुबे, चंद्रप्रकाश गुप्ता, सतीश जोशी, चंदू जैन, गजानंद वर्मा, दिलीप गुप्ते, विक्रम कुमार और मदनलाल बम शामिल हैं।

इस अवसर पर स्व. बालाराव इंगले की स्मृति में कृष्णकुमार अष्ठाना को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवल कर किया। अतिथियों का स्वागत दे.अ.वि.वि. कुलपति डॉ. रेणु जैन, प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, महासचिव हेमंत शर्मा, उपाध्यक्ष दीपक कर्दम, प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, सचिव अभिषेक मिश्रा, कार्यकारिणी सदस्य राहुल वावीकर, विपिन नीमा, अंकुर जायसवाल, अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, सेवा सुरभि के अध्यक्ष ओम नरेडा, वरिष्ठ पत्रकार क्रांति चतुर्वेदी, रमण रावल ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिह्न वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी, तपेन्द्र सुगंधी, प्रवीण शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य अभय तिवारी, प्रवीण बरनाले ने प्रदान किए।

कार्यक्रम में मौजूद श्रीमती हरिवंश का स्वागत श्रुति अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया। आभार प्रेस क्लब महासचिव हेमन्त शर्मा ने माना।

इस मौके पर कार्यक्रम में पद्मश्री भालू मोंढे, पद्मश्री सुशील दोशी, पद्मश्री जनक पलटा, पूर्व सांसद कल्याण जैन, वरिष्ठ भाजपा नेता गोविंद मालू, अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते, इंटक के अध्यक्ष श्यामसुंदर यादव, विधायक विशाल पटेल, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, अश्विन जोशी, ख्यात गायिका शोभा चौधरी, रमेश निर्मल, गौतम काले, सेवा सुरभि के अध्यक्ष ओम नरेडा, स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सहप्रमुख अलका सैनी, म.प्र. हिन्दी साहित्य समिति के हरेराम वाजपेयी, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर शुक्ला, राजेश चौकसे, गिरधर नागर, वरिष्ठ भाजपा नेता गोपी नेमा, बालकृष्ण अरोरा, डी.एन. तिवारी, नवीन जैन, कीर्ति राणा, सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी, आलोक खरे, सुनील जोशी, जयश्री पिंगले, राशिका नीमा, डॉ. रजनी भंडारी, डॉ. प्रतीक श्रीवास्तव, महेंद्र सोनगिरा, अनमोल तिवारी, प्रदीप मिश्रा, संजीव मालवीय, अद्र्धेंधु भूषण, मुकेश तिवारी, अर्पण जैन, सुधाकर सिंह, राजेंद्र कोपरगांवकर, सुभाष सातालकर, अनिल शुक्ला, लक्ष्मीकांत पंडित, प्रवीण जोशी, जयसिंह रघुवंशी, समाजसेवी अजय शारडा, किरण वाईकर, शिवप्रसाद चौहान, मार्टिन पिंटो, अजीज खान, धर्मेश यशलहा, उज्जवल शुक्ला, दिनेश पुराणिक, सहित मीडिया के साथियों के साथ ही शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के अनेक प्रतिनिधि व गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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