भुवनेश्वर: Odisha के बालासोर में ट्रिपल ट्रेन हादसे (Triple Train Accident) के तीन दिन बाद भी अपनों के जिंदा होने की उम्मीद में लोग यहां वहां अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं।
हालांकि अभी 100 शवों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन जहां घायल भर्ती हैं वहां उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।
100 शवों की शिनाख्त अभी बाकी
गौरतलब है कि हादसे को 3 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका लेकिन, इतने वक्त बाद भी इस भयावह जख्म हरे हैं।
राहत-बचाव कार्य भले ही पूरा हो गया हो, पटरियां दुरुस्त हो गई हों लेकिन, अभी भी इसके निशान बाकी हैं।
अपनों को खो चुकी वो आंखे अभी भी इस उम्मीद हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनका अपना सामने आ खड़ा हो।
मीडिया रिपोर्ट्स (Media Reports) के मुताबिक, 275 में से तकरीबन 100 शवों की शिनाख्त अभी बाकी है।
लोग मुर्दाघरों से लेकर उन अस्पतालों के भी चक्कर लगा रहे हैं, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।
लोग मुर्दाघरों व अस्पतालों के लगा रहे चक्कर
इन शवों को AIIMS भुवनेश्वर (AIIMS Bhubaneswar) और 4 अन्य निजी अस्पतालों के मुर्दाघर में रखा गया है।
मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जैन ने जानकारी दी कि कई शवों की शिनाख्त हो चुकी है, बाकियों की पहचान का काम चल रहा है।
उधर, कई लोग अभी भी अपने प्रियजनों को तलाश रहे हैं।
कईयों को उम्मीद है कि उनके अपने जो उस शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) में सवार थे, जिंदा बचे हैं।
ये लोग मुर्दाघरों व अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।
भुवनेश्वर में 95 शव सौंपे
इधर Odisha के मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जैन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने 275 मौतों की पुष्टि की है।
रविवार दोपहर 2 बजे तक, 180 शवों को मृतकों के परिजनों को सौंप दिया गया था। हमने बालासोर (Balasore) में 85 और भुवनेश्वर में 95 शव सौंपे हैं।
शव की शिनाख्त की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शवों को भुवनेश्वर के शवगृहों से उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने का खर्च वहन करेगी।
हमारे अधिकारी शवों की पहचान करने से लेकर उन्हें उनके घर सौंपने तक हर चीज का समन्वय कर रहे हैं।
जैन ने कहा कि सरकार मृतक के परिजनों को इलेक्ट्रॉनिक रूप (Electronic Form) से मृत्यु प्रमाण पत्र और स्पीड पोस्ट (Speed post) के माध्यम से भौतिक प्रतियां प्रदान करेगी।
उन्हें इन दस्तावेजों के लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। हम कम से कम समय में इस प्रक्रिया को सुगम बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि रिश्तेदार हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से कॉल कर सकते हैं और सरकारी अधिकारी उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।
इस तरह की एक नहीं कई कहानियां
इस बीच, अंतहीन खोज से परिजन हताश हैं। पश्चिम बंगाल के पश्चिम दिनाजपुर जिले के बासुदेव रॉय अपने भाई और बहनोई (बहन के पति) की तलाश कर रहे हैं, जो कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे, लेकिन अभी तक उनका कोई सुराग नहीं लग पाया है।
इस तरह की एक नहीं कई कहानियां हैं। बासुदेव के मुताबिक, परिवार के 5 लोग बालासोर में हैं और उन्होंने लगभग सभी सरकारी अस्पतालों और मुर्दाघरों का दौरा किया है, लेकिन दोनों का पता नहीं चल पाया है। हम तीनों भुवनेश्वर और कटक आए हैं।
अपने भाई समीर मन्ना (32) की कर रहे तलाश
इसी तरह 2 भाई गोपाल मन्ना और निमाई मन्ना अपने भाई समीर मन्ना (32) की तलाश कर रहे हैं।
बालासोर के अस्पतालों का दौरा करने के बाद वे सोमवार को AIIMS भुवनेश्वर पहुंचे।
समीर पिछले 2 साल से कोरोमंडल एक्सप्रेस में पेंट्री बॉय के तौर पर काम कर रहा था।
बालासोर जिले के रेमुना की राममणि बेरा शुक्रवार रात से अपने पति कार्तिका बेरा (37) की तलाश कर रही हैं।
वह बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में विजयवाड़ा से बालासोर आ रहा था।