पाकुड़ : Odisha के बालासोर (Balasore) में शुक्रवार को हुए भीषण रेल हादसे (Train Accident) में पाकुड़ (Pakud) के 25 साल के नियामत शेख मौत के मुंह से बच निकले।
जब वह घायल अवस्था में ट्रेन से बाहर निकले तब उन्हें पता चला कैसी भीषण दुर्घटना हुई। वह बताते हैं, मैं जिस बोगी में था, पटरी (Track) से कम से कम 25 फीट दूर जाकर गिरी थी।
अन्य बोगियों की भी लगभग यही स्थिति थी। मैं जब बाहर निकला तो मंजर बेहद ही खौफनाक था। पूरा घटनास्थल यात्रियों के चीख-पुकार से गूंज रहा था।
शाम होने के चलते अंधेरा छाया हुआ था। मैंने अपना मोबाइल निकाला और सबसे पहले घर में जानकारी दी।
शनिवार की दोपहर को वे सकुशल घर पहुंच गए। नियामत सुरक्षित अपने घर तो लौट आए हैं, परंतु खौफनाक मंजर उनके दिलो-दिमाग से हट नहीं रहा है।
मजदूरी करने जा रहे थे विजयवाड़ा
नियामत कहते हैं कि उन्हें मजदूरी करने विजयवाड़ा (Andhra Pradesh) जाना था। शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस में चढ़े थे।
उस बोगी में तीन और लड़के थे, जिनसे उनका शालीमार स्टेशन पर ही परिचय हुआ था। तीनों पाकुड़ के संग्रामपुर (Sangrampur) गांव के थे।
उनके साथ ही वे लोग भी उसी बोगी में सवार हुए थे। हालांकि नियामत को बैठने के लिए सीट मिल गई थी और उन तीनों को सीट नहीं मिली। इसलिए दोबारा तीनों से भेंट नहीं हुई।
नियामत ने बताया कि शाम करीब सात बजे बालासोर में खेतों के बीच से गुजरते समय अचानक जोरदार झटका लगा। फिर पता चला कि ट्रेन की बोगियां पलटने लगीं।
बोगी के भीतर एक दूसरे पर गिरने लगे लोग
नियामत बताते हैं कि जब बोगियां पलटने लगीं, अंदर में लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। कई लोग मेरे ऊपर गिर गए। बोगी पलटने के बाद अन्य यात्रियों के ऊपर मैं आ गया।
सिर में काफी ज्यादा दर्द महसूस होने लगा। मेरे पैर भी चोट लगने का एहसास हुआ। मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला।
इसके बाद किसी तरह टूटी हुई खिड़की से मैंने अपने को संभाल कर बाहर निकाला। मैं पैदल किसी तरह पास के गांव पहुंचा।
वहां एक छोटी दवा दुकान मिली। मैंने दुकान से दवा ली और हावड़ा के लिए बस में सवार हो गया।
किसी तरह हावड़ा पहुंचा और वहां से सियालदह से कंचनजंगा ट्रेन में सवार हुआ। फिर पाकुड़ पहुंचा।