रांची : झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षकों की मांगों और समस्याओं के मुद्दों पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है। पारा शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि के साथ-साथ उनके स्थायीकरण और वेतनमान के बिंदुओं पर 12 अगस्त, यानी गुरुवार को झारखंड सरकार को अंतिम निर्णय लेना था।
इसके लिए गुरुवार को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में विकास आयुक्त, वित्त सचिव, शिक्षा सचिव, राज्य परियोजना निदेशक की बैठक होनेवाली थी।
लेकिन, हमेशा की तरह इस बार भी पारा शिक्षकों को निराशा ही हाथ लगी। यह बैठक नहीं हो पायी।
यह जानकारी पारा शिक्षक प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने बुधवार को राज्य परियोजना कार्यालय से प्राप्त जानकारी और गुरुवार को शिक्षा मंत्री के निजी सचिव से बातचीत के आधार पर दी है।
बता दें कि झारखंड सरकार राज्य के 65 हजार पारा शिक्षकों को स्थायी करने पर विचार कर रही है।
उन्हें बिहार की तर्ज पर 5200-20200 का वेतनमान दिया जा सकता है। इसके लिए आकलन परीक्षा ली जायेगी और शिक्षकों को 60 वर्ष तक के लिए स्थायी किया जायेगा।
यह मांग पारा शिक्षकों ने की थी, जिस पर विचार किया गया है। बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के लिए सीमित आकलन परीक्षा ली जायेगी।
फिलहाल पारा शिक्षकों के मानदेय में भी बढ़ोतरी पर भी विचार हो रहा है। इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है। 12 अगस्त को इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना था, लेकिन किसी कारणवश बैठक नहीं हो पायी।
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शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और विभिन्न पारा शिक्षक संगठनों के बीच शनिवार को पांच घंटे तक हुई वार्ता में इन मुद्दों पर सहमति बनी थी। शिक्षक दिवस पांच सितंबर के दिन इसकी घोषणा की संभावना है।
18 अगस्त को नियमावली पर अंतिम फैसले की संभावना
शिक्षा मंत्री ने इससे पहले हुई बैठक में शामिल विभागीय पदाधिकारियों को इसकी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था और 11 अगस्त तक नियमावली का ड्राफ्ट फाइनल करने को कहा था।
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18 अगस्त को शिक्षा मंत्री फिर पारा शिक्षकों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें नियमावली पर अंतिम निर्णय होने की संभावना है। पारा शिक्षक प्रद्युम्न कुमार सिंह ने कहा है कि अब पारा शिक्षकों का ध्यान 18 अगस्त को होनेवाले फैसले पर है।
पारा शिक्षकों के साथ हुई वार्ता
शिक्षा मंत्री की पारा शिक्षकों के साथ दो दौर की वार्ता हुई थी। बैठक में शिक्षा मंत्री ने पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों से पूछा था कि वह किस राज्य के आधार पर स्थायीकरण और वेतनमान चाहते हैं।
पारा शिक्षकों को बैठक से बाहर जाकर विचार-विमर्श कर यह तय करने को कहा। इसके बाद पारा शिक्षकों के विभिन्न संगठनों ने आपसी सहमति से तय किया कि बिहार की तर्ज पर राज्य के पारा शिक्षकों का स्थायीकरण किया जाये।