धनबाद : जिले में मरीजों के लिए सात नवंबर से परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस दिन से जिले के किसी भी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक में मरीजों का इलाज नहीं किया जायेगा।
सात नवंबर से यहां सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक बंद रहेंगे। आईएमए धनबाद ने यह घोषणा की है।
आईएमए (IMA) धनबाद के सचिव डॉ सुशील ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के चक्रवर्ती नर्सिंग होम को दो महीने के लिए बंद करा दिया है।
इसी के विरोध में आईएमए (IMA) धनबाद ने जिले में सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक को सात नवंबर (रविवार) से बंद रखने की घोषणा की है।
बता दें कि चंद्रपुरा निवासी सोनी देवी की मौत मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने धनसार के चक्रवर्ती नर्सिंग होम को दो महीने के लिए बंद कर दिया है।
यह कार्रवाई क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत की गयी है। इस कार्रवाई का आईएमए पहले भी विरोध कर चुका है। आईएमए ने चेतावनी दी थी कि अगर चक्रवर्ती नर्सिंग होम को जल्द नहीं खोला गया, तो धनबाद के सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक को बंद कर दिया जायेगा।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं किये जाने से नाराज डॉक्टरों ने अब जिले के सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक को बंद करने का फैसला किया है।
आईएमए धनबाद के सचिव डॉ सुशील ने कहा कि क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधान छोटे क्लिनिक और नर्सिंग होम के लिए व्यावहारिक नहीं है।
सरकार से इस एक्ट में संशोधन की मांग की गयी। सरकार ने आश्वासन दिया था कि इस एक्ट के तहत किसी क्लिनिक या नर्सिंग होम पर कार्रवाई नहीं होगी।
फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने धनबाद में इस एक्ट का इस्तेमाल कर चक्रवर्ती नर्सिंग होम पर कार्रवाई की। डॉ सुशील ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग पहले अपने स्वास्थ्य केंद्रों पर नजर डाले और देखे कि वे क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के मापदंडों के अनुरूप हैं या नहीं। उसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग दूसरे प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लिनिक पर उंगली उठाये।
डॉ सुशील ने कहा कि धनबाद का एक भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र इस एक्ट के मापदंडों के अनुरूप नहीं है। ऐसे में किसी एक नर्सिंग होम को टारगेट कर उस पर कार्रवाई करना न्यायोचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर चक्रवर्ती नर्सिंग होम को बंद किया जा सकता है, तो उसी एक्ट के तहत जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र समेत अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर देना चाहिए।
डॉ सुशील ने बताया कि धनबाद ही नहीं, बल्कि झारखंड के अन्य जिलों के आईएमए के पदाधिकारी भी इस मुद्दे पर एक साथ हैं। हो सकता है कि धनबाद से शुरू हो रहा यह आंदोलन पूरा राज्य में फैल जाये। ऐसे में मरीजों को होनेवाले नुकसान के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार होगा।