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अनुराग गुप्ता और अजय कुमार के खिलाफ CBI जांच कराने की याचिका खारिज, 2016 के राज्यसभा चुनाव में…

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रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने शनिवार को राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) 2016 में BJP प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के लिए बड़कागांव के तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को लालच देने के मामले में आरोपित CID के तत्कालीन ADG अनुराग गुप्ता एवं एवं तत्कालीन CM रघुवर दास (CM Raghuvar Das) के प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ CBI जांच का आग्रह करने वाली पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की याचिका खारिज कर दी।

साथ ही राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि इस मामले का अनुसंधान जल्द से जल्द पूरा हो एवं आवश्यक कार्रवाई की जाए।

अनुराग गुप्ता के खिलाफ PC एक्ट अब तक नहीं लगाया गया

राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने मामले में जगन्नाथपुर थाना में CID के तत्कालीन ADG अनुराग गुप्ता एवं तत्कालीन CM के प्रेस सलाहकार अजय कुमार एवं अन्य के खिलाफ कांड संख्या 154/ 2018 दर्ज की गई थी।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता एके सिंह ने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद मामले में से जगन्नाथपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन अनुराग गुप्ता के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई हुई है या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि अनुराग गुप्ता के खिलाफ PC एक्ट अब तक नहीं लगाया गया है।

अनुराग गुप्ता एवं अन्य पर तत्कालीन राज्यसभा प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी एवं महेश पोद्दार के पक्ष में मतदान के लिए प्रलोभन देने का आरोप है।

दृष्टया जांच के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने FIR कराने का आदेश

2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था।

इस कथित टेप में ADG अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी।

मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी।

प्रथम दृष्टया जांच के बाद भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने FIR कराने का आदेश दिया था।

गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब जगन्नाथपुर थाना में मामला दर्ज करवाया था।

इस मामले में अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने विभागीय कार्रवाई शुरू की थी, जिसके संचालन का जिम्मा DGP एमवी राव को दिया गया था। हालांकि, बाद में अनुराग गुप्ता को विभागीय जांच में क्लीन चिट दे दी गई थी।

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