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महाराष्ट्र में आज दिखा सियासी क्लाइमेक्स, अप्रैल में ही लिखा गया था उसका स्क्रिप्ट

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नई दिल्ली : Maharashtra में रविवार दोपहर को जो सियासी हंगामा हुआ उसकी पटकथा तो अप्रैल में ही लिख दी गई थी।

यह पटकथा तब लिखी गई जब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा भी नहीं थी कि शरद पवार (Sharad Pawar) अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वालों का मानना है कि अप्रैल के पहले हफ्ते में जब अजित पवार (Ajit Pawar) ने दिल्ली (Delhi) का एक दौरा किया उसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में सरगर्मी आनी शुरू हुई।

कहा यह तक जाने लगा कि NCP के नेता अजित पवार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सुर में सुर मिलाने लगे थे।

फिलहाल महाराष्ट्र में अचानक बदली सियासत को लेकर न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश में आगे के कयास लगाए जाने लगे हैं।

महाराष्ट्र में आज दिखा सियासी क्लाइमेक्स, अप्रैल में ही लिखा गया था उसका स्क्रिप्ट Political climax seen in Maharashtra today, its script was written in April itself

गुपचुप तरीके से देश के गृह मंत्री अमित शाह से करीब सवा घंटे तक मुलाकात की

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि रविवार की दोपहर को महाराष्ट्र में जिस तरीके से NCP के नेता अजीत पवार अपने साथ विधायकों को लाकर एकनाथ शिंदे की सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो यह कोई तुरंत लिया हुआ फैसला नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शितोले कहते हैं कि रविवार को जो हुआ है उसकी पूरी पटकथा तो तीन महीने पहले अप्रैल में ही लिख दी गई थी।

उनका कहना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा उसी वक्त हुई जब शरद पवार के भतीजे और NCP के बड़े नेता अजित पवार ने दिल्ली का दौरा किया।

चर्चा हुई कि उन्होंने गुपचुप तरीके से देश के गृह मंत्री अमित शाह से करीब सवा घंटे तक मुलाकात की।

हालांकि अजित पवार तो शुरुआत से ही इस मुलाकात को खारिज करते आए हैं।

लेकिन महाराष्ट्र की सियासी गलियारों में कहा यही जाता रहा कि अजित पवार और अमित शाह के बीच हुई इस मुलाकात के बीच महाराष्ट्र के भविष्य की सियासत की पूरी कहानी तकरीबन सवा घंटे की मुलाकात के दौरान लिख दी गई।

महाराष्ट्र में आज दिखा सियासी क्लाइमेक्स, अप्रैल में ही लिखा गया था उसका स्क्रिप्ट Political climax seen in Maharashtra today, its script was written in April itself

मुलाकात को भी अजित पवार ने सिरे से कर दिया खारिज

महाराष्ट्र के सियासी जानकार अरुण वाडवलकर कहते हैं कि कुछ दिनों पहले जब अमित शाह मुंबई में कार्यक्रम के सिलसिले में आए हुए थे उस दौरान भी महाराष्ट्र में नए सियासी समीकरणों को लेकर न सिर्फ पार्टी के नेताओं बल्कि एकनाथ शिंदे के साथ भी बड़ी चर्चा हुई।

वाडवलकर कहते हैं कि जिस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह को रविवार को शामिल होना था लेकिन वह उससे एक रोज पहले शनिवार को मुंबई आ गए थे।

ऐसे में उस दौरान भी महाराष्ट्र की सियासत में चर्चाएं इसी बात की हो रही थी कि अमित शाह से अजीत पवार और उनकी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की मुलाकात हुई थी।

हालांकि इस मुलाकात को भी अजित पवार ने सिरे से खारिज कर दिया था।

इस सियासी हलचल को लेकर शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि उन्होंने इस बात को लेकर पहले ही स्पष्ट रूप से कहा था कि अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल होने वाले हैं।

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बैठक को लेकर शरद पवार ने किया उनसे सवाल-जवाब

महाराष्ट्र की सियासत को करीब से समझने वालों का कहना है कि अजित पवार के दिल में मुख्यमंत्री ना बन पाने की टीस शुरुआत से ही रही है।

राजनीतिक विश्लेषक जतिन लालेराव पवार कहते हैं कि अप्रैल में मुंबई के घाटकोपर इलाके में जब पार्टी को मजबूत करने के लिए NCP के अध्यक्ष शरद पवार अपने प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे तो उनके भतीजे अजीत पवार वहां से कई मील दूर बैठकर पुणे के राजनीतिक इलाके में आगामी सियासी तस्वीर बदलने को लेकर अपने कुछ चुनिंदा विधायकों से बातचीत कर रहे थे।

पवार कहते हैं कि अजित पवार की पुणे में हुई इस बैठक को लेकर शरद पवार ने उनसे सवाल-जवाब भी किया था।

हालांकि बाद में कई दौर की बातचीत के बाद मामला किसी खुलेआम मतभेद के तौर पर सामने नहीं आने दिया गया।

महाराष्ट्र में आज दिखा सियासी क्लाइमेक्स, अप्रैल में ही लिखा गया था उसका स्क्रिप्ट Political climax seen in Maharashtra today, its script was written in April itself

महाराष्ट्र के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि

महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शितोले कहते हैं कि दिल्ली दौरे के बाद अजीत पवार महाराष्ट्र में आकर जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी पर न सिर्फ हमले कम किए बल्कि उनकी भाषा शैली भी शिंदे सरकार के प्रति नरम दिखाई देने लगी।

शितोले कहते हैं कि अजित पवार ने धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील के बावजूद भी जब NCP ने शिवसेना और कांग्रेस से गठबंधन किया वह तब से इस बात को लेकर सवाल उठाते आए हैं।

महाराष्ट्र के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अप्रैल में दिल्ली से आने के बाद इस पूरे मामले पर अजित पवार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिंदे सरकार (Shinde Sarkar) का खुलकर साथ ही दिया कि और कहा कि राज्य के विकास के लिए अगर सब लोग साथ जुड़ रहे हैं तो किसी भी तरह की विचारधारा आड़े नहीं आनी चाहिए।

बल्कि राज्य और देश के विकास के लिए सब लोगों को एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने की बात कही।

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महाराष्ट्र की सियासत में जो रविवार को हुआ वाह चंद घंटे की कवायद नहीं

दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में जो रविवार को हुआ वाह चंद घंटे की कवायद नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषण और वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण सिंह कहते हैं कि शरद पवार ने जब कांग्रेस अडानी मामले में कांग्रेस की ओर से उठाई जाने वाली JPC मांग को खारिज कर दिया था।

तभी सियासी गलियारों में सियासत ने अलग तरह के संकेत दिए जाने लगे थे।

इसके बाद अजित पवार ने तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सुर में सुर मिलाने शुरू कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ करनी शुरू कर दी।

प्रवीण सिंह कहते हैं कि अगर इस पूरे घटनाक्रम को अप्रैल से जोड़कर देखें तो पता चल जाएगा कि कड़ियां किस तरीके से जुड़ती चली गई और फिर तमाम सामूहिक सार्वजनिक और गुप्त बैठकों के बाद दो जुलाई को एक बार फिर से महाराष्ट्र में सियासी उथल पुथल मच गई।

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