नई दिल्ली: आजकल दिल्ली पुलिस (Delhi Police) से कोई अपराधी क्यों नहीं डरता? ऐसा इसलिए है, क्योंकि दिल्ली पुलिस उन गुंडों और अपराधियों को बचाने में जुटी है, जिन्हें भाजपा पनाह दे रही है। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने नौ मई को एक प्रेस वार्ता में यह बात कही थी।
सवाल यह है कि आखिर किस बात ने उन्हें कानून प्रवर्तन एजेंसी (law enforcement agency) के बारे में ऐसी आलोचनात्मक टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया?
यह मुद्दा भाजपा नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा को दिल्ली में उनके आवास से आप शासित पंजाब की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उठा था।
जब उन्हें सड़क मार्ग से पंजाब ले जाया जा रहा था, तो दिल्ली पुलिस हरकत में आई और भाजपा शासित राज्य हरियाणा में पंजाब पुलिस के काफिले को बीच में ही रोक दिया गया।
दोनों पार्टियों- आप और बीजेपी ने एक-दूसरे पर अपने-अपने राज्यों में पुलिस का दुरुपयोग (abuse of police) करने का आरोप लगाया।
यह पहली बार नहीं है, जब भगवा पार्टी को किसी विपक्षी दल की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा हो।
राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस पर विपक्षी सदस्यों द्वारा कई बार उनकी और हर उस आवाज को दबाने का आरोप लगाया गया है जो वर्तमान सरकार (current government) को किसी न किसी तरह से घेरने की कोशिश करती है।
सैकड़ों कार्यकर्ताओं को हर दिन पुलिस ने हिरासत में लिया
ताजा मामला फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट (fact-checking website) ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर का है, जिन्हें ट्विटर पर एक विवादास्पद पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसे उन्होंने लगभग 4 साल पहले पोस्ट किया था।
वह जुबैर ही थे, जिन्होंने सबसे पहले भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की कथित विवादास्पद टिप्पणी को साझा किया था। विवादित बयान के बाद भारत के अलावा कई इस्लामी देशों से उनकी बड़े स्तर पर निंदा की गई।
इस मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र और दिल्ली पुलिस को घेरने का कोई मौका नहीं गंवाया और उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और भाजपा को बेनकाब करने वालों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जुबैर की गिरफ्तारी की खबर आने के तुरंत बाद कहा, भाजपा की नफरत, कट्टरता और झूठ को उजागर करने वाला हर व्यक्ति उनके लिए खतरा है। सत्य की एक आवाज को गिरफ्तार करने से हजारों को जन्म मिलेगा। सत्य की हमेशा अत्याचार पर जीत होती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Senior Congress leader Jairam Ramesh) ने कहा कि ऑल्ट-न्यूज और जुबैर विश्वगुरु के फर्जी दावों को उजागर करने में सबसे आगे रहे हैं, जिन्होंने प्रतिशोध के साथ पलटवार किया है। उन्होंने कि दिल्ली पुलिस, केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट कर रही है और पुलिस का पेशेवर रवैया और स्वतंत्रता खो चुकी है।
पुलिस उपायुक्त (आईएफएसओ, स्पेशल सेल) के. पी. एस. मल्होत्रा ने आईएएनएस से बात करते हुए जुबैर की गिरफ्तारी के राजनीति से प्रेरित होने के दावों की निंदा की।
उन्होंने कहा, इस मामले को राजनीति से प्रेरित कहना सही नहीं है। पूछताछ के दौरान वह टालमटोल करता रहा, जो मूल रूप से उसकी गिरफ्तारी का आधार बना।
जुबैर के मुद्दे से ठीक पहले, दिल्ली पुलिस पर कांग्रेस द्वारा सैन्य भर्ती की अग्निपथ योजना और नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Former President Rahul Gandhi) से पूछताछ के दौरान अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था।
राहुल से पांच दिनों में 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई और उस अवधि के दौरान कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर जोरदार विरोध किया। सांसदों और विधायकों सहित कांग्रेस पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को हर दिन पुलिस ने हिरासत में लिया।
15 जून को, कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली पुलिस कर्मियों के खिलाफ 24, अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय के परिसर में जबरन प्रवेश करने और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करने के लिए एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।
कई बार वामपंथी दलों द्वारा सवाल उठाए गए
इस घटनाक्रम से नाराज पार्टी के शीर्ष प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि दिल्ली पुलिस में गुंडागर्दी अपने चरम पर पहुंच गई है।
उन्होंने घटना के तुरंत बाद एक विशेष मीडिया ब्रीफिंग (special media briefing) में कहा था, हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन यह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इसका हिसाब होगा। सभी पुलिस अधिकारी जो अपने आकाओं को खुश करने के लिए मोदी सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं, उन्हें पता है कि यह बख्शा नहीं जाएगा, हम याद रखेंगे और दीवानी और फौजदारी (सिविल एंड क्रिमिनल) दोनों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
इन आरोपों का जवाब देते हुए, दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में कथित रूप से सार्वजनिक गड़बड़ी पैदा करने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की।
दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने तब कहा था, दिल्ली पुलिस के जंतर-मंतर पर विरोध करने को लेकर दिए गए सुझावों के बावजूद, कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और हमारे सुझावों की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए क्षेत्र में सार्वजनिक अशांति पैदा करने की बार-बार कोशिश की है।
जहां पुलिस ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को शहर में किसी भी तरह का हंगामा करने से रोकने में अत्यधिक तत्परता दिखाई है, वहीं वामपंथी बनाम दक्षिणपंथी राजनीति के एक अन्य केंद्र – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में इसके ²ष्टिकोण पर कई बार वामपंथी दलों द्वारा सवाल उठाए गए हैं।
दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मामले की मामले की चल रही जांच
इस वर्ष 10 अप्रैल को विश्वविद्यालय में एक बार फिर हंगामा देखने को मिला। रामनवमी के अवसर पर मांसाहारी भोजन को लेकर कथित रूप से शुरू हुई मारपीट में कम से कम 16 छात्र घायल हो गए थे।
विश्वविद्यालयों में मामूली हाथापाई तो होती है लेकिन 10 अप्रैल की घटना पहली बार नहीं थी जब छात्र बदमाशों जैसे व्यवहार पर उतर आए और कैंपस में एक दूसरे के खून के प्यासे बन गए।
जनवरी 2020 में, नकाबपोश पुरुषों और महिलाओं ने लाठी और डंडे लेकर विश्वविद्यालय के छात्रावासों में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था।
परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। विवाद के दौरान जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष (Professional Nature of Policing) सहित लगभग 30 छात्र-छात्राएं घायल हो गए थे।
हिंसा का पैमाना इतना था कि प्रशासन ने पुलिस बुला ली, जिसे कैंपस के अंदर फ्लैग मार्च करना पड़ा। कई वामपंथी झुकाव वाले राजनीतिक दलों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को कथित तौर पर तबाही मचाने के लिए दोषी ठहराया, हालांकि, अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है।
दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मामले की जांच चल रही है।
हालांकि, सभी आरोपों के बावजूद, नवीनतम अपराध आंकड़ों के अनुसार, अखिल भारतीय औसत 59 फीसदी की तुलना में दिल्ली में आईपीसी अपराधों की सबसे अच्छी सजा दर (85 फीसदी) है।
दुष्कर्म के मामलों में, दिल्ली की दोषसिद्धि दर अखिल भारतीय औसत से 21 प्रतिशत बेहतर है। यह संभवत: शहर में की गई पुलिसिंग की पेशेवर प्रकृति (Professional Nature of Policing) का प्रतिबिंब है!