भारत

रामनाथ कोविंद ने कहा- भारत के गांव में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का कोई विकल्प नहीं

कोविड काल में चरक संहिता की शिक्षा बीमारी से बचाने में कारगर

उज्जैन: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने उज्जैन में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए कहा कि भारत के गांव में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का कोई विकल्प नहीं हे। वहीं कोविड काल में चरक संहिता की शिक्षा बीमारी से बचाने में कारगर रही।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत गाँवों में बसता है। आज भी गाँव की परम्परागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ही है। उसका कोई विकल्प नहीं है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आयुर्वेद सुखी एवं दीघार्यु जीवन प्राप्त करने का सरल और सहज उपाय है।

आयुर्वेद बताता है कि किस प्रकार आहार-विहार, ऋतुचर्या के माध्यम से लोग सुखी और निरोगी रह सकते हैं।

चरक संहिता में बताया गया है कि भोजन से पहले हाथ-पैर और मुँह धोना बीमारियों से बचने का तरीका है।

कोविड काल में यह शिक्षा अत्यंत कारगर सिद्ध हुई। आयुर्वेद में कहा गया है कि यदि आप उपयुक्त भोजन लेते हैं तो वह आपको स्वस्थ रखता है।

उन्होंने आयुर्वेद का अर्थ बताते हुए कहा, आयुर्वेद का अर्थ है आयु का विज्ञान। आयुर्वेद न केवल रोग का उपचार करता है बल्कि उसे जड़ से समाप्त करता है।

आज सर्वहितकारी आयुर्वेद के परम्परागत ज्ञान को वैज्ञानिक कसौटी पर खरा उतरने और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप उसे तकनीकी मापदण्डों पर परिमार्जित कर विष्व को देने का है। विष्व तैयार है।

वैद्य रंजीत पौराणिक ने आभार प्रदर्शन किया

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उज्जैन से मेरी पुरानी स्मृतियाँ जुड़ी हैं। मैं यहाँ की गलियों से परिचित हूँ। उज्जैन योग-वेदांत, पर्व-उत्सव, धर्म-दर्शन, कला-साहित्य, आयुर्वेद-ज्योतिष की नगरी है।

यह महार्षि संदीपनि, कृष्ण-सुदामा, भगवान महाकाल, मंगलनाथ, सम्राट विक्रमादित्य, महाकवि कालिदास, भास, भवभूति एवं पंडित सूर्यनारायण व्यास की भूमि है। मैं इस पुण्य एवं पावन भूमि को बारम्बार नमन करता हूँ।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि गोदावरी किनारे नासिक में वर्ष 1907 में अखिल भारतीय आयुर्वेदिक महासम्मेलन की स्थापना हुई।

आज क्षिप्रा किनारे इसका 59वां अधिवेशन आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह, प्रणव मुखर्जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी शामिल हो चुके हैं।

आज मुझे इसमें शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। आशा है महासम्मेलन के परिणाम देश एवं दुनिया के लिये कल्याणकारी होंगे।

राष्ट्रपति कोविंद ने भगवान धनवंतरि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्‍जवलन कर महासम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया।

राष्ट्रपति कोविंद का महासम्मेलन के अध्यक्ष वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा ने एवं प्रथम महिला सविता कोविंद का वैद्या तनुजा ने स्वागत किया। त्रिगुणा ने स्वागत भाषण दिया। वैद्य रंजीत पौराणिक ने आभार प्रदर्शन किया।

इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान, आयुष मंत्री राम किशोर नानो कांवरे, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद अनिल फिरौजिया उपस्थित थे।

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