रांची: राज्यसभा हॉर्स ट्रेडिंग मामले में निलंबित चल रहे एडीजी अनुराग गुप्ता को विभागीय जांच में क्लीन चिट मिल गई है। जांच के दौरान अनुराग गुप्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है।
जांच में जो बात सामने आयी है, उसमें कहा गया है कि अनुराग गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए गवाहों ने अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर अपना बयान दिया है।
बचाव पक्ष के गवाहों ने योगेंद्र साव द्वारा व्यक्तिगत कारणों से अनुराग गुप्ता के खिलाफ आरोप लगाए जाने की बात बताई है।
इस मामले में कई गवाहों ने अपना पक्ष रखा, लेकिन किसी ने भी इस संबंध में कोई ऐसी जानकारी नहीं दी, जिससे ये प्रतीत होता हो कि एडीजी अनुराग गुप्ता दोषी है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार अधोहस्ताक्षरी की ओर से इस विभागीय कार्रवाई के संचालन के क्रम में विभिन्न बिंदुओं पर गहनता से जांच और विवेचना की गई।
विभागीय कार्यवाही बाबूलाल मरांडी की ओर से राज्यसभा चुनाव 2016 के दौरान हुई कथित अनियमितता के संबंध में चुनाव आयोग को प्रेषित पत्र के आधार पर प्रारंभ की गई।
पूरा मामला चुनाव आयोग को प्रेषित परिवाद पत्र और दर्ज कराए गए बयानों के आधार पर प्रारंभ किया गया।
दूसरी ओर विभागीय कार्रवाई के संचालन के दौरान बाबूलाल मरांडी द्वारा सूचित किया गया कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें जन सामान्य से रोजाना विभिन्न प्रकार की शिकायतें, सुझाव मिलते रहते हैं।
जरूरत के अनुसार उन्हें संबंधित विभागों को भेजना और उन पर जांचोंपरांत समुचित कार्रवाई का अनुरोध करना उन जैसे लोगों की कार्य प्रणाली का हिस्सा है।
इस दौरान उन्हें राज्यसभा चुनाव 2016 के संदर्भ में एक सीडी की कॉपी उपलब्ध कराई गई थी।
जिसे उन्होंने समुचित कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को भेज दिया था। इसके अलावा इस बारे में अतिरिक्त कोई भी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है.
उनके द्वारा यह भी कहा गया कि उक्त परिस्थितियों में किसी भी विभागीय जांच की प्रक्रिया में उनकी उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए उन्हें इस से मुक्त रखा जाए।
जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि, जिन नंबरों पर एडीजी अनुराग गुप्ता द्वारा बात करने का आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन उनके कॉल रिकॉर्ड के सत्यापन के लिए सीडीआर उपलब्ध नहीं हो सका।
साथ ही रिकॉर्डिंग में प्रयुक्त होने वाला मूल यंत्र भी विभागीय कार्यवाही के दौरान प्रस्तुत नहीं किया जा सका है।
विभागीय कार्रवाई संचालन पदाधिकारी डीजी एमवी राव (सेवानिवृत्ति) ने बीते 30 सितंबर 2021 से पहले राज्य सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी।
इस रिपोर्ट में एडीजी अनुराग गुप्ता के विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने के कारण उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है।
अब एमवी राव की रिपोर्ट की राज्य सरकार समीक्षा करने के बाद अंतिम निर्णय लेगी। अदालत में इस मामले पर सुनवाई जारी है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए उस वक्त बड़कागांव से कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव पर प्रलोभन देने और दबाव डालने का आरोप लगा था।
इस मामले से जुड़ी सीडी बाबूलाल मरांडी ने सार्वजनिक की थी और उन पर कार्रवाई की मांग की थी।
इस आरोप में राज्य सरकार ने 14 फरवरी 2020 को उन्हें निलंबित कर दिया था। तब वह सीआइडी के एडीजी थे। एडीजी अनुराग गुप्ता पर चुनाव आयोग के आदेश पर 29 मार्च 2018 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर जगन्नाथपुर थाने में मामला दर्ज करवाया गया था।
इस मामले में अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने विभागीय कार्रवाई शुरू की थी। जिसके संचालन का जिम्मा तत्कालीन डीजीपी एमवी राव को दिया गया था।