रांची: राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की महत्वाकांक्षी पेट्रोल सब्सिडी योजना को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कारगर कदम उठाए जा रहे हैं।
योजना के लिए एनआईसी ने ऐप तैयार कर लिया है। इस योजना पर 19 जनवरी को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में मुहर लग सकती है।
संभावना है कि कैबिनेट की मुहर लगते ही मुख्यमंत्री 19 जनवरी को इस ऐप को आम जनता के लिए लांच करेंगे। उसके बाद पेट्रोल सब्सिडी के इच्छुक गरीब परिवार इस ऐप पर आवेदन प्रारंभ कर देंगे।
हालांकि, खाद्य आपूर्ति विभाग के आहार पोर्टल पर 16 जनवरी तक 279 लोगों ने सब्सिडी के लिए आवेदन भी कर डाला है।
आवेदनों की दो स्तर पर जांच के बाद 26 जनवरी से मुख्यमंत्री दुमका में लाभुक के खाते में सब्सिडी की राशि भेज कर इस योजना का शुभारंभ करेंगे।
खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 20 लाख परिवार को पेट्रोल पर सब्सिडी देने का अनुमान लगाया गया है।
इसके अनुसार इस वित्तीय वर्ष में अगर 20 लाख परिवार सब्सिडी लेता है, तो सरकार के कोष पर प्रति माह 50 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभाग ने 30 लाख परिवारों को लाभान्वित करने का अनुमान लगा कर योजना को अंतिम रूप दिया है।
ऐसे मिलेगा योजना का लाभ
प्रति माह अधिकतम 10 लीटर पेट्रोल पर 25 रुपये प्रति लीटर की दर से सब्सिडी के लिए तैयार किए गए ऐप का नाम ‘सीएम सपोर्ट स्कीम’ रखा गया है।
सपोर्ट का फूल फॉर्म इस प्रकार होगा- एसयू से सब्सिडी, पीपी से पर्चेज ऑफ पेट्रोल और आरटी से राइडिंग टू ह्वीलर।
इस ऐप पर गरीब परिवार आवेदन करेंगे। उनके आवेदन की दो स्तर पर जांच होगी। पहली डीटीओ के स्तर पर, दूसरी डीएसओ के स्तर पर।
डीटीओ टू ह्वीलर की सभी तकनीकी पक्षों की जांच करेंगे, जिसमें रजिस्ट्रेशन से लेकर वैधता सहित अन्य जानकारी शामिल होगी।
वहीं डीएसओ द्वारा राशन कार्ड की वैधता और उसमें दर्ज जानकारियों की पुष्टि की जाएगी। आवेदक को राशन कार्ड संख्या, परिवार के सभी सदस्यों का नाम, किसके नाम से कौन सा दोपहिया वाहन, बैंक एकाउंट और अन्य जानकारी देनी होगी।
जांच में तथ्यों की पुष्टि होते ही सब्सिडी के 250 रुपए लाभुक परिवार के खाते में पहले ही ट्रांसफर हो जाएगी।
खाद्य आपूर्ति विभाग ने एनएफएसए के तहत चिह्नित 59,17,872 परिवारों और 4,87,964 हरा राशन कार्डधारियों में से कितने के पास टू ह्वीलर, थ्री ह्वीलर या फोर ह्वीलर हैं, का आंकड़ा परिवहन विभाग से मांगा था।
लेकिन परिवहन विभाग ने कहा कि रजिस्ट्रेशन के समय आधार नंबर लेना अनिवार्य नहीं है, इसलिए किस गरीब परिवार के पास कौन सा वाहन है, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
इसके बाद वाहन मालिकों से ही आवेदन में सारा आंकड़ा मांगने का फैसला लिया गया और उसी अनुरूप ऐप तैयार कराया गया।