रांची: गैंगरेप (Gang rape) के एक मामले में चौकाने वाला फैसला आने के बाद बाजार में चर्चाओं का माहौल गर्म है। Poxo की विशेष अदालत ने सबूत के अभाव में पांच युवकों को सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में बरी कर दिया है।
इस मामले में पीड़िता ने पहले जो बयान दिया था उससे पलट गई है। इसी का लाभ देते हुए Court ने पांच अभियुक्तों को बरी कर दिया।
हालांकि फैसला वारदात के 112 दिन बाद आया है। तभी से धुर्वा थाना क्षेत्र निवासी सचिव पांडेय, आकाश हर्ष, मयंक, विशाल जेल में बंद थे।
युवकों की ओर नहीं लगाई गई थी कोई अर्जी
पांचों युवकों के पैरवीकार Advocate Pritanshu Kumar Singh ने बताया कि पांचों की ओर से जेल जाने के बाद किसी प्रकार की कोई अर्जी दाखिल नहीं की गई थी।
गवाही के दौरान पीड़िता पूर्व के बयान से मुकर गई। कहा कि मेरे साथ कोई घटना घटी ही नहीं है। जिसका लाभ पांचों युवकों को मिला।
जबरदस्ती करने को लेकर रातू थाना दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बता दें कि 11 मई 2022 को रात्रि 10.30 बजे पुराने विधानसभा (Assembly) से अपने घर जाने के क्रम में पांचों युवकों ने घर छोड़ने के बहाने लड़की को कार में बैठा लिया और रिंग रोड में दलादली चौक के पास गाड़ी में ही जबरदस्ती करने को लेकर रातू थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने मौके पर पांचों को गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने आठ में से छह गवाह को पक्षद्रोही घोषित कर दिया था।
प्राथमिकी, 164 का बयान और गवाही में क्या
सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर किस पर विश्वास किया जाए। घटना से लेकर सुनवाई तक के पीछे की कहानी भी कम मजेदार नहीं है। रातू थाने में सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज (FIR registered) कराई थी।
पीड़िता बोली थी- प्राइवेट पार्ट को छू रहे थे सभी, तभी आ गई पुलिस
एक दिन बाद 164 के बयान में कहा था कि लड़कों ने कपड़े उतारे और Private part को छुने लगे। तभी पुलिस आई और मैं बच गई। मेरे साथ जबरदस्ती नहीं हुई।
वहीं जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में अदालत में गवाही के दौरान पीड़िता ने कहा मैं अपने दोस्तों के साथ रिंग रोड बर्थडे पार्टी मनाने के लिए गई थी।
पार्टी के बाद दोस्तों के साथ लौट रही थी। रिंग रोड से थोड़ा ही आगे पहुंची थी। तभी पुलिस ने मुझे पकड़ा और एक पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिया।
उसके बाद मैं कुछ नहीं जानती हूं। आगे कहा कि मेरे साथ कोई गलत काम नहीं हुआ था। 164 का बयान एवं बाल कल्याण समिति (Child welfare committee) में जो बयान हुआ था। वह पुलिस के कहने पर दी थी। बहरहाल, जो भी हुआ हो, लेकिन अब कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया है।