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झारखंड विधानसभा : शोर-शराबे की वजह से प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही रही बाधित

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रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सोमवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही बाधित रही।

भाजपा विधायकों के हंगामे के कारण मुख्यमंत्री भी प्रश्नों के जवाब नहीं दे सके।

सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के कई सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। भाजपा विधायक जेपीएससी पीटी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए परीक्षा को रद्द करने तथा आयोग के अध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे।

विधानसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे भाजपा सदस्यों से अपने स्थान पर जाकर बैठने की अपील की , जिसके बाद कुछ पल के लिए सभी भाजपा विधायक अपनी सीटों पर जा कर बैठे और मुख्यमंत्री से जेपीएससी के मुद्दे पर सदन में वक्तव्य देने की मांग करने लगे।

भाजपा के अमर कुमार बाउरी ने कहा कि जिस दिन से विधानसभा सत्र की शुरुआत हुई है, उसी दिन से इस ज्वलंत मुद्दे पर विपक्षी सदस्य सरकार से जेपीएससी के मुद्दे पर वक्तव्य देने की मांग कर रहे हैं।

भाजपा के ही भानु प्रताप शाही ने कहा कि जेपीएससी परीक्षा में अनियमितता के खिलाफ आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों को पुलिस रात के 12 बजे उठा लेती है और विपक्षी सदस्यों के विरोध के बावजूद दूसरे दिन छोड़ा जाता है।

मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सदन से बाहर बयान देते हैं। वही एक मंत्री आंदोलन कर रहे लोगों को भाड़े की भीड़ करार देते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य के युवाओं के साथ इस तरह के अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी।

आजसू पार्टी के सुदेश महतो ने भी जेपीएससी पीटी के मुद्दे को गंभीर बताते हुए सदन के नेता से इस मुद्दे पर बयान देने का आग्रह किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने इसके बाद सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन एक बार फिर से भाजपा के कई सदस्य वेल में आकर शोर शराबा करने लगे।

इसके कारण विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्वाह्नन 11ः30 बजे सभा की कार्यवाही को अपराहन 12ः30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

सभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद भाजपा के कई विधायक एक बार फिर से वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।

इस दौरान प्रदीप यादव के एक ध्यानाकर्षण सूचना पर सरकार की ओर से खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी बातें रखी।

बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेपीएससी के मुद्दे पर सदन में अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि झारखंड लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र इकाई है और राज्य सरकार ने उसके कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जेपीएससी के कार्यों में कोई भी और कहीं भी या किसी तरह का हस्तक्षेप अब तक नहीं किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार जेपीएससी द्वारा सातवीं से दसवीं तक के सिविल सेवा परीक्षा के लिए पीटी आयोजित की गई जिसमें रिकॉर्ड संख्या में अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया है।

उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और परीक्षा में सफलता हासिल की है। यही कारण है कि मनु वादियों के पेट में दर्द हो रहा है ।

उन्होंने कहा कि परीक्षा को बाधित करने के उद्देश्य से विश्व हिंदू परिषद के नौजवानों को धरना पर बैठाया गया है। बैक डोर से आंदोलनकारियों को मदद पहुंचाई जा रही है , अनाज और राशन समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि पिछले 15 से 16 वर्षों तक राज्य में भाजपा नेताओं ने शासन किया लेकिन राज्य की क्या स्थिति है, यह सभी देख सकते हैं ।

इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने विभिन्न विपक्षी विधायकों द्वारा दिए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव को अमान्य कर दिया।

भाजपा के अनंत कुमार ओझा ने नियोजन नीति में तुष्टीकरण को बढ़ावा देने, आजसू पार्टी के लंबोदर प्रसाद महतो ने जंगली हाथियों के आक्रमण से फसल और घर नष्ट होने,

भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह ने जेपीएससी पीटी परीक्षा में अनियमितता ,विकलांग कोटा के नियमों का पालन नहीं करने, भाजपा के अमित मंडल ने जेपीएससी परीक्षा में अनियमितता, भाजपा के भानु प्रताप शाही ने हिंदी, भोजपुरी और मगही को मेरिट लिस्ट से वंचित करने और मनीष जायसवाल ने जेपीएससी परीक्षा में धांधली को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया था।

भोजनावकाश के बाद विधानसभा में भाजपा के अमर कुमार बाउरी द्वारा चालू वित्तीय वर्ष के द्वितीय अनुपूरक बजट पर लाये गये कटौती प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

भाजपा सदस्यों के बहिर्गमन के बीच सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने अनुपूरक बजट पर सरकार को कई सुझाव दिये, जिसके बाद अनुपूरक बजट और तत्सम्बंधी विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

अध्यक्ष ने इसके बाद सभा की कार्यवाही को मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

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