रांची: नगड़ी अंचल कार्यालय में हुई मनमानी और गड़बड़ी के खिलाफ एक बुजुर्ग पीड़िता ने लोकायुक्त के कोर्ट में शिकायत दर्ज करायी है।
मामला आपत्ति व अंचल निरीक्षक की अस्वीकृति अनुशंसा को दरकिनार करते हुए वाद संख्या 367.2021-22 को मंजूरी देते हुए म्यूटेशन करने का है।
यह आरोप नगड़ी अंचल अधिकारी संतोष कुमार शुक्ला पर जहीरन खातून नामक एक बुजुर्ग महिला ने लगाया है। मामला मौजा पुंदाग के खाता नंबर 01ए प्लॉट नंबर 2150ए थाना नम्बर 228ए कुल रकबा 1 एकड़ 32 डिसमिल में से 15 डिसमिल जमीन से जुड़ा है।
क्या है आरोप
सीओ के खिलाफ जहीरन खातून ने आरोप लगाया है कि नगड़ी अंचल अधिकारी संतोष कुमार शुक्ला द्वारा व्यापक गड़बड़ी करते हुए आपत्ति व अंचल निरीक्षक की अस्वीकृति अनुशंसा के बावजूद वाद संख्या 367/2021.2022 को स्वीकृत करते हुए म्युटेशन कर दिया गया है।
इसमें जमीन कारोबारियों के पूर्वाग्रह में आकर कार्रवाई के आरोप लगे हैं। चूंकि इस वाद की अस्वीकृति के लिए अंचल निरीक्षक द्वारा 31/08/2021 को स्पष्ट तौर पर अनुसशंसा की गई थी।
इसके बाद 03/09/2021 को सारी आपत्तियों और अंचल निरीक्षक की अस्वीकृति अनुशंसा को दरकिनार करते हुए अंचल अधिकारी संतोष शुक्ला ने गलत ढंग से दाखिल खारिज कर दिया।
जबकि यह वाद जिस डीड के आधार पर दायर किया गया हैए उसे पीड़िता ने संदिग्ध बताया है।
पीड़िता के अनुसार प्रस्तुत किया गया डीड गलत वंशावली के आधार पर नावल्द व्यक्ति का पुत्र बनकर जाकिर अंसारी ने डीड किया है।
चूंकि जिस स्वण् हदीस अंसारी का पुत्र बनकर जाकिर अंसारी ने जमीन का विक्रय किया है, जो नावल्द थे।
उनके हिस्से में आने वाली जमीन को बेचने के लिए जाकिर अंसारी उनका बेटा बना और गलत तरीके से वंशावली तैयार की। जाकिर पर गलत ढंग से आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज तैयार करने के भी आरोप हैं।
न्यायिक व्यवस्था का मजाक
पीड़िता ने कहा है इस दाखिल खारिज वाद में एक फर्जीवाड़ा भी किया गया है, जैसा कि दाखिल खारिज वाद संख्या 367/2021.22 के अभिलेख में पारित आदेश के पृष्ठ संख्या 2 में दिनांक 02/09/2021 को दोनों पक्षों की उपस्थिति दर्शा कर आदेश पारित किया गया है।
जबकि इस तिथि को उनके पक्ष से कोई उपस्थिति दर्ज नहीं कराई गई थी और ना ही 02/09/2021 को कोई पक्ष रखा गया था।
इस तिथि से पहले ही सारा पक्ष रखा जा चुका था। इससे पहले 26/08/2021 को दोनों पक्षों को उपस्थित होने का आदेश दिया गया थाए उस तिथि को दोनों पक्ष उपस्थित हुए थे। इसके बाद अगली कोई तिथि तय नहीं की गई थी।
उस दिन भरोसा दिलाया गया था कि यह दाखिल खारिज वाद अस्वीकृत किया जाएगा।
इसके बावजूद अंचल अधिकारी ने अपने पद का बेजा दुरुपयोग करते हुए गोपनीय ढंग से तिथि तय की और गलत ढंग से दोनों पक्षों की उपस्थिति दिखाते हुए म्यूटेशन स्वीकृति से संबंधित आदेश पारित कर दिया। जो न्यायिक व्यवस्था का भी उपहास है।
हर आपत्ति कर दी दरकिनार
पीड़िता के अनुसार, गलत ढंग से की गई दाखिल खारिज वाद के विरुद्ध दिनांक 11/06/2021 को आपत्ति दर्ज कराई गई। इसके बाद 15/06/2021 को और 24/06/2021 को भी आपत्ति दर्ज कराई गई थी।
इन सारी आपत्तियों को भी पूर्ण रूप से दरकिनार कर दिया गया। चूंकि इस आपत्ति के आधार पर दो नोटिस भी तामिल कराया गया, एक नोटिस 7 अगस्त 2021 को उपस्थित होने के लिएए जबकि दूसरा नोटिस 24 अगस्त 2021 को उपस्थित होने से संबंधित था।
दोनों तिथियों में उपस्थित होकर हमारी ओर से पक्ष रखा गया जिसमें बताया गया है कि नगड़ी अंचल की दाखिल खारिज वाद संख्या 367/2021.2022 पूर्ण रूप से फर्जी तरीके से तैयार की गई डीड के आधार पर फाइल की गई है।
इस दाखिल खारिज के लिए जो डीड प्रस्तुत किया गया है वह फर्जी वंशावली के आधार पर बने गलत विक्रेता द्वारा बेचा गया था।
उक्त जमीन पर दाखिल खारिज के वादी का किसी भी प्रकार से दखल कब्जा तक नहीं है।
इसके बावजूद अंचल कार्यालय द्वारा बंद कमरे में स्थल निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है। आपत्ति के बावजूद अंचल अधिकारी के स्तर से वास्तविकता की अनदेखी की गई।