झारखंड

रांची वीमेंस कॉलेज में CBI का छापा, हिरासत में महिला प्रोफेसर

RANCHI/रांची: Ranchi News Women’s College रांची वीमेंस कॉलेज में मंगलवार को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीम ने छापेमारी की है। वीमेंस काॅलेज में महिला दिवस पर कार्यक्रम चल रहा था। कार्यक्रम शुरू हाेने से पहले ही सीबीआई टीम काॅलेज पहुंच चुकी थी।

जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ, सीबीआई CBI ने ममता केरकेट्टा काे बुलाया और पूछताछ की। इसी दाैरान प्रिंसिपल काे गिरफ्तारी का वारंट दिखाया और उन्हें लेकर निकल गई। बता दें की मंगलवार को रांची वीमेंस काॅलेज की असिस्टेंट प्राेफेसर ममता केरकेट्टा काे गिरफ्तार कर लिया है।

उन्हें सीबीआई CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से 23 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

आराेप है कि नियुक्ति परीक्षा में उन्हें कुल 91 अंक मिले थे, जबकि कम से कम 119 अंक जरूरी थे। मेरिट सूची में छेड़छाड़ कर उन्हें पास कर दिया गया था। इस घाेटाले में यह पहली गिरफ्तारी है।

जेपीएससी ने 19 जुलाई 2006 काे लेक्चरर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। 15 अक्टूबर 2006 काे परीक्षा हुई और 13 जनवरी 2007 काे रिजल्ट जारी हुआ। इसमें 766 अभ्यर्थी पास हुए।

जेपीएससी JPSC ने 14 जनवरी 2008 काे 722 अभ्यर्थियाें की सिदाे-कान्हू मुर्मू विवि, विनाेबा भावे विवि और रांची यूनिवर्सिटी में नियुक्ति की अनुशंसा की।

JPSC नियुक्ति घोटाले में लेक्चरर गिरफ्तार, रांची वीमेंस कॉलेज से हुई  गिरफ्तारी

इन नियुक्तियाें में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया। इसके बाद हाईकाेर्ट ने 14 जून 2012 काे सीबीआई जांच का आदेश दिया। इस मामले में काेर्ट ने ममता केरकेट्टा काे बार-बार नाेटिस जारी किया, लेकिन वह पेश नहीं हुई। फिर काेर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था।

CBI की चार्जशीट

इस घाेटाले में सीबीआई चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसमें कहा गया है कि जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद ने मेरिट लिस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी निजी एजेंसी ग्लाेबल इफाॅर्मेटिक्स काे दी थी।

लेकिन एजेंसी ने मेरिट लिस्ट में छेड़छाड़ की। अंक बदल दिए। अयाेग्य अभ्यर्थियाें काे नियुक्ति कर लिया गया। ये सभी गड़बड़ियां जेपीएससी के वरिष्ठ अधिकारियाें के निर्देश पर हुई।

जिन अधिकारियाें पर आराेप लगे, उनमें जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, तत्कालीन सचिव सह परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी और सदस्य गाेपाल प्रसाद सिंह, राधा गाेविंद नागेश व शांति देवी शामिल हैं।

191 अभ्यर्थियाें के अंकाें में की गई थी हेराफेरी

सीबीआई CBI की चार्जशीट में कहा गया है कि 191 अभ्यर्थियाें के अंकाें में छेड़छाड़ की गई और उन्हें चयनित किया गया। 37 लेक्चरर नियुक्त हाे गए। चयनित लेक्चरर्स में जेपीएससी JPSC के तत्कालीन सदस्य गाेपाल प्रसाद सिंह के भाई विवेकानंद सिंह और सदस्य शांति देवी की बहन कांति कुमारी भी शामिल थीं।

जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष सहित 69 लोगों को बनाया गया आराेपी

इस नियुक्ति घाेटाले में 69 लाेगाें काे आराेपी बनाया गया है। इनमें जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, सचिव सह परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, राधा गोविंद नागेश, शांति देवी, ग्लाेबल इंफाॅर्मेटिक्स एजेंसी और उसके कर्मचारी धीरज कुमार सहित 62 लेक्चरर्स शामिल हैं।

मामले में सीबीआई ने गोपाल प्रसाद सिंह, एलिस उषा रानी सिंह, धीरज कुमार, दिलीप कुमार प्रसाद, राधा गोविंद नागेश, शांति देवी, जिंदर सिंह मुंडा, सुचित्रा बारा, सुप्रभा टुटी, भारती कुमारी, अमिताभ भारती, अंजू पुष्पा बा, राघवेंद्र कुमार सिंह, ममता केरकेट्टा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था।

साथ ही भीम राम, विनय कमार, अशोक कुमार सिंह, राजेंद्र सिंह, कांति कुमारी, असीम अनुपम डीन, संतोष स्वरूप शांडिल्य, अर्चना सिन्हा, शशि किरण, प्रदीप कुमार, विनोद कुमार, गीतांजलि सिंह, राखी रानी, राधा सिंह, कमल किशोर सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, अरविंद कुमार झा, ममता कुजूर, अनमोल अमर बाबा, गणेश कुमार राम, सुमन कुमार, हरि प्रकाश झा, प्रकाश चंद्र दास, विनोद कुमार सिन्हा, दीप नारायण सिंह के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल हुई थी।

इधर मनीष कुमार दुबे, बालेश्वर राम, शत्रुघ्न कुमार पांडेय, सुरेश सिंह मुंडा, सुरेंद्र कुमार, रोज उरांव, कामना रॉय, विवेकानंद सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह, मंतोष कुमार पांडेय, विजय अईंद, अनिता अल्दा, मनीष दयाल, प्रीति कमल, अविनाश सिंह, सतीश कुमार सिंह, ध्रुव नारायण सिंह, मनोज कुमार तिवारी, स्निग्धा कुमारी, हरिलाल रविदास, अजय बहादुर सिंह, राजेंद्र कुमार बड़ाइक, जितेंद्र हरिजन, गंगानाथ झा, संजीव कुमार, शिल्पी बक्सी, केदार नाथ तिवारी, नलिनी कांत मिश्र, चंद्रेश्वर प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था।

इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने केस को सीबीआइ CBI को सौंप दिया था।

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