रांची: CM हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) सोमवार को झारखंड विधानसभा के सभागार में “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” (“Process of law making and responsibility of executive”) विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय प्रशिक्षण के शुभारंभ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका (Process and Executive) का दायित्व एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आने वाले समय में बेहतर विधानसभा के संचालन में सहायक साबित होगी।
सोरेन ने कहा कि देश का संविधान एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है, जहां संसदीय प्रणाली को चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं।
विधायिका देश एवं राज्य के लोगों के कल्याणार्थ विधेयक पारित करने, संशोधन प्रस्ताव लाने, नियम-कानून बनाने, नीति निर्धारण सहित कई कार्य करती हैं।
कार्यपालिका सरकार द्वारा लाए गए इन नियम-कानून, नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने का काम करती है तथा न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या एवं न्याय देने का काम करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को समान सहयोगी के रूप में कार्य करने की जरूरत है। इन्हें एक-दूसरे को साथ लेकर सही दिशा के साथ कार्य करना चाहिए, ताकि इनके द्वारा किए गए कार्यों का पूरा लाभ आम जनता को मिल सके।
व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कैसे चलें, इस पर होना चाहिए चिंतन
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि झारखंड प्रदेश के लगभग 23 साल पूरे होने जा रहे हैं। नया राज्य होने की वजह से झारखंड विधानसभा को विधायिका का बहुत लंबा अनुभव नहीं है लेकिन अब यह जरूरी है कि स्थायी तौर पर विधायिका और कार्यपालिका एक बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर आते हैं, सरकार बनाते हैं लेकिन कुछ व्यवस्थाएं स्थायी तौर पर कार्य करती हैं।
इन स्थायी व्यवस्थाओं एवं संस्थाओं को राज्य में किसकी सरकार है इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि व्यवस्थाएं निरंतर ठीक से चलती रहे इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
मैं समझता हूं कि कुछ चीजें निरंतर बिना रुकावट के चलती हैं और ये व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कैसे चलें, इस निमित्त यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका प्रणाली में हम सभी लोग विधानसभा के माध्यम से नियम बनाने से लेकर कई विधेयक पास कराने सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
इन सभी नियम-कानूनों को कार्यपालिका व्यवस्था से होकर गुजरना पड़ता है। अतएव यह आवश्यक है कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित हो तभी सभी कार्य सुचारू एवं सुदृढ़ तरीके से पूरा हो सकेगी।
जब विधायिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय ठीक नहीं बन पाता है तब विधानसभा के अंदर कई सवाल खड़े होते हैं। आवश्यक है कि इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सभी लोग सामूहिक दायित्व का निर्वहन करें।
लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल आत्मा संविधान में निहित
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic system) की मूल आत्मा हमारे संविधान में निहित है, जिस तेजी से विधायी व्यवस्थाओं के अंतर्गत नए कानून बनते हैं या कानूनों में संशोधन होते हैं, ऐसी परिस्थिति में विधायिका द्वारा पारित विधेयक अथवा अध्यादेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना जरूरी होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक लंबे समय अंतराल पर इन विषयों को पुनः रिवाइज करने की आवश्यकता होती है। समय के साथ कई चीजें अलग-अलग दिशा में चलने लगती हैं। जरूरी है कि इन सब चीजों पर विचार और संगोष्ठी होती रहे।
इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम एवं झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो (Rabindra Nath Mahato) ने भी “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” विषय पर अपनी-अपनी बातें रखते हुए विषय की महत्ता एवं उपयोगिता पर विस्तृत प्रकाश डाला।