रांची: झारखंड में राज्य सभा (Rajya Sabha) की दो सीटों पर होने वाले चुनाव (Election) के लिए 24 मई को अधिसूचना जारी होगी।
चुनाव की आहट के बीच सूबे में राजनीतिक बिसात बिछनी शुरू तो हो गयी है लेकिन सत्ता और विपक्षी ने उम्मीदवार को लेकर अपना पत्ता नहीं खोला है।
झारखंड की जिन दो सीटों के लिए चुनाव होना है, उन पर भाजपा का कब्जा है। एक सीट केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और दूसरी महेश पोद्दार के पास है।
सात जुलाई को दोनों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। 10 जून को राज्य सभा सदस्य चुनने के लिए विधायक वोट डालेंगे।
चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद 31 मई तक उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर सकेंगे।
एक जून को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी और तीन जून को नाम वापसी होगी। 10 जून को सुबह नौ से चार बजे तक मतदान होगा।
इसी दिन शाम पांच बजे से मतों की गिनती होगी। चुनाव की प्रक्रिया 13 जून के पहले समाप्त कर ली जाएगी।
झारखंड राज्य सभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है। हालांकि सत्ता पक्ष को एक सीट हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कांग्रेस से भी कुछ नामों की चर्चा जोरों पर है।
भाजपा के पास 26 का आंकड़ा है़ भाजपा को भी बहुत परेशानी नहीं है लेकिन दो वोट का जुगाड़ करना है।
कांग्रेस की दावेदारी ने झामुमो को पशोपेश में डाल दिया है
आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा के पास 26 विधायक हैं, उसे एक सीट पर जीत के लिए एक विधायक के समर्थन का जुगाड़ करना होगा।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार भाजपा को राज्य सभा चुनाव में आजसू का समर्थन मिल रहा है। ऐसे में भाजपा सीट निकाल ले इसमें ज्यादा संसय नहीं है।
झामुमो के पास 30 विधायकों का मजबूत आंकड़ा है। झामुमो को वर्तमान राजनीतिक हालात में कांग्रेस के वोट की भी जरूरत नहीं है।
ऐसी परिस्थिति में झामुमो अपना दावा छोड़कर कांग्रेस के लिए रास्ता तैयार कर दे, संभव नहीं दिख रहा है। हालांकि कांग्रेस की दावेदारी ने झामुमो को पशोपेश में डाल दिया है।
राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूलाः राज्यसभा चुनाव की जीत का फॉर्मूला लोकसभा चुनाव से बिल्कुल अलग होता है।
विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या को रिक्त हो रही सीटों की संख्या में एक जोड़कर भाग दिया जाता है। फिर उसमें एक और संख्या जोड़ने पर जीत का परिणाम देता है।
झारखंड विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 81 है। बंधु तिर्की की सदस्यता खत्म होने के बाद यह संख्या 80 हो गयी है।
छह माह के अंदर दोबारा उप चुनाव कराने की बाध्यता होती है। हालांकि, राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उप चुनाव होना संभव नहीं। ऐसे में रिक्त हो रही दो सीटों में एक जोड़ने पर संख्या तीन हो जाती है।
कुल सदस्यों की संख्या (80) को तीन से भाग देने पर 26.66 यानी 27 आता है। इसमें एक जोड़ने पर यह संख्या 28 हो जाती है यानी पहली वरीयता में पार्टी को अपने उम्मीदवार को जीताने के लिए 28 विधायकों का समर्थन चाहिए। इस हिसाब से झामुमो अपने संख्या बल पर एक उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकती है।