रांची: चंद दिनों के बाद मदर्स डे (Mother’s Day) आ रहा है। इस दिन हम मां की गरिमा और महत्व (Mother’s Dignity and Importance) को अपने जीवन से जोड़कर देखते हैं, तो सहज एहसास होता है इस धरती पर किसी भी देवी के बाद अगर कोई महत्त्व रखता है, तो वह मां ही है।
महत्वपूर्ण (Important) यह है कि जिस मां ने 9 महीने तक कोख में रखकर पाला, जब उस पर संकट आता है, तो उसके लिए हम क्या करें।
इस दृष्टि से जब हम गया के दीपांशु के जीवन और मां के प्रति उसके समर्पण को देखते हैं, तो मदर्स डे सार्थक हो उठता है।
मां के इलाज के लिए किडनी तक बेचने को हो गया बेचैन
बचपन में ही दीपांशु के पिता की मौत हो गई थी। मां ने कड़ी मेहनत कर बच्चों का लालन-पालन किया। मजदूरी कर मां ने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
मां की सेवा के लिए कम उम्र में ही दीपांशु गया से रांची आकर तिहारी मजदूरी का काम करने लगा। इस बीच उसकी मां का पैर टूट जाता है तो वह इलाज के लिए तड़पता है।
उसके पास आर्थिक साधन नहीं मिल पाता है, तो वह अपनी किडनी (Kidney) तक बेचने को तैयार हो जाता है,लेकिन किसी भी तरह से अपनी मां को बचा लेना चाहता है।
RIMS के डॉक्टर विकास आए सामने
अपना किडनी बेचने के लिए दीपांशु रांची (Ranchi) के एक निजी अस्पताल में पहुंच गया। वह लोगों से पूछने लगा कि किसी को किडनी चाहिए तो वह देने के लिए तैयार है।
अस्पताल के ही एक स्टाफ ने इस मामले की जानकारी RIMS के न्यूरो सर्जरी विभाग (Department of Neuro Surgery) के डॉ. विकास कुमार को दी। उन्होंने कहा कि मैंने दीपांशु को समझाया कि तुम्हें किडनी बेचने की जरूरत नहीं है।
दवाओं का भी इंतजाम होगा
मैं और मेरी पूरी टीम मदद करने के लिए तैयार है। डॉ. विकास ने कहा कि यदि दीपांशु अपनी मां को RIMS लाता है, तो हम सब लोग मिलकर इलाज करेंगे। दवाओं का भी इंतजाम होगा।
उसकी हर तरह से मदद की जाएगी। अब दीपांशु को यह विश्वास हो गया है कि डॉक्टरों की मदद से उसकी मां का इलाज हो जाएगा।