रांची: दलबदल मामले में शुक्रवार को झारखंड स्पीकर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के कोर्ट में सुनवाई हुई।
राजकुमार यादव और भूषण बाड़ा की ओर से दायर संविधान की दसवीं अनुसूची से संबंधित मामले पर सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आरएन सहाय ने बाबूलाल का पक्ष रखा।
अधिवक्ता आरएन सहाय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिका देरी से डाली गई है। इसलिए यह मामला वैध नहीं है।
उन्होंने झारखंड विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के नियम छह और सात का हवाला देते हुए यह बात कही।
वहीं, दलबदल मामले में सुनवाई के दौरान राजकुमार यादव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से तीन विधायक जीते थे।
ऐसे में दो तिहाई बहुमत के साथ ही किसी पार्टी का विलय हो सकता है। इसीलिए बाबूलाल मरांडी का विलय असंवैधानिक है।
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आरएन सहाय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी ने प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पहले ही पार्टी से निष्कासित कर दिए थे।
इसलिए दोनों पार्टी के सदस्य नहीं थे तो पार्टी के किसी भी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते थे। इसलिए इनके बहुमत की कोई आवश्यकता नहीं है।
राजकुमार यादव ने पूर्व के कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले में दसवीं अनुसूची का मामला बनता है और इसीलिए बाबूलाल की सदस्यता रद्द होनी चाहिए।
नौ मई को सुनवाई
बाबूलाल के अधिवक्ता ने कहा कि राजकुमार यादव और भूषण तिर्की ने 10 महीने बाद इस मामले में शिकायत दर्ज करवाया है, जो कि संवैधानिक नहीं है विधानसभा के नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा प्रावधान है कि अधिक देरी से शिकायत दर्ज होने पर वैध नहीं माना जाएगा, वहीं कोर्ट में प्रिमिलरी ऑब्जेक्शन लेटर भी बाबूलाल के अधिवक्ता ने लेटर दिया है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने की सुनवाई को स्थगित दी। फिलहाल अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है।
इधर, बाबूलाल मरांडी के दल बदल मामले में नौ मई को बंधु तिर्की और दीपिका पांडेय की शिकायत पर सुनवाई होगी।