रांची: झारखंड हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खिलाफ माइनिंग लीज आवंटन और शेल कंपनी से जुड़े मामले पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान ईडी द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किए गए दस्तावेज अदालत के समक्ष खोले गये।
सुनवाई के दौरान शेल कंपनी मामले में हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि मनरेगा से जुड़ी 16 प्राथमिक की डिटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं।
पहले सुनवाई शेल कंपनी को लेकर हुई। इस मामले में सरकार की तरफ से अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Advocate Kapil Sibal) ने पक्ष रखा।
मामले को लेकर कोर्ट किसी फैसले तक नहीं पहुंच पायी। सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने 19 मई को फिर से सुनवाई करने की बात कही।
माइनिंग लीज प्रकरण मामले की सुनवाई में हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकुल रहतोगी पक्ष रख रहे थे।
इस मामले में शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी
दोनों सुनवाई खत्म होने के बाद कोर्ट ने 19 मई को फिर से सुनवाई करने की बात कही है। ईडी की ओर से अधिवक्ता सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा।
माइनिंग मामले की सुनवाई के दौरान रांची के उपायुक्त छवि रंजन भी मौजूद रहे। इस मामले में सोमवार को ईडी ने हाइ कोर्ट में सीलबंद लिफाफा सौंपा था।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से दायर की गयी जनहित याचिका में बताया गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की अवैध आय का निवेश उनके करीबियों द्वारा बनायी गयी कई शेल कंपनियों में किया गया है।
28 ऐसी कंपनी का ब्यौरा अदालत में पेश किया गया था, जो रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, अमित अग्रवाल, अभिषेक प्रसाद एवं अन्य लोगों के नाम पर बनायी गयी थी।
याचिकाकर्ता के अनुसार इन कंपनियों के माध्यम से निवेश किया जाता है। पीआईएल में सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से सोरेन परिवार की पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गयी थी।