रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) की डबल बेंच से हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष जॉर्ज कुमार समेत अन्य अधिकारियों को राहत मिली है।
चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए बोर्ड को पूरे मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बोर्ड से अपने स्तर से जांच करने और अब तक हुई कार्रवाई की पूरी जानकारी मांगी है।
एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।
अतिक्रमण हटाने में क्या-क्या बाधाएं आती हैं
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए आवास बोर्ड के सचिव को निलंबित करने का आदेश दिया था।
साथ ही अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि झारखंड राज्य आवास बोर्ड में पदस्थापित सभी इंजीनियरों की संपति, उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से उनकी अर्जित की गई संपत्ति की जांच की जाये।
अदालत ने यह निर्देश दिया है कि उक्त अधिकारियों की संपत्ति से संबंधित जांच रिपोर्ट छह सप्ताह में कोर्ट के समक्ष सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की जाये।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केपी देव की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बोर्ड के सचिव की कार्यशैली पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की थी।
कोर्ट ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट( High Court )ने आवास बोर्ड के सचिव जॉर्ज कुमार के पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों के नाम से अर्जित की गई संपत्ति की जांच का भी निर्देश एसीबी को दिया था।
साथ ही हाई कोर्ट ने एफिडेविट के माध्यम से यह जानकारी मांगी है कि आवास बोर्ड की संपत्ति से कितने अतिक्रमण हटाए गए? अतिक्रमण हटाने में क्या-क्या बाधाएं आती हैं?