रांची: रांची उपद्रव (Ranchi Violence) में दो युवकों को मारे जाने के बाद से दोनों के परिवार में मातम पसरा हुआ है।
हर कोई यही कहता दिख रहा है कि आखिर इनकी गलती क्या थी। दो की मौत के बाद अब उनकी मां अपने लाडलों को हर तरफ ढूंढती फिर रही हैं।
दोनों मां अपने बेटों को खोने के गम में खा-पी नहीं रही हैं। कुछ ज्यादा बोल तक नहीं पा रही हैं। बता दें कि रांची हिंसा (Ranchi Violence) में मुदस्सिर (Mudassir) और साहिल (Sahil) की गोली लगने से मौत हो गई थी। दोनों हिंसा के दौरान घटनास्थल पर मौजूद थे। तभी फार्यंरग शुरू हो गई थी।
मां की आंखों के नहीं रुक रहे आंसू
मगर मुदस्सिर की मां निकहत परवीन (Nikhat Parween) और बुआ सन्नो परवीन की आंखों से आंसू थम नहीं रह रहे थे। उनकी निगाहें मुदस्सिर (Mudassir) को ही तलाश रही थीं।
बार-बार दोनों मुदस्सिर पुकार कर फूट-फूटकर रो रही थी। हालांकि मौजूद रिश्तेदार उन्हें ढाढ़स बंधा रहे थे। उसकी मां हर तरफ अपने बेटे को ढूंढ रही है।
वह बार-बार अपने 16 साल के बेटे को पुकार रही है। बता दें कि डेली मार्केट (Daily Market) के पास 10 जून को हुई हिंसा में मुदस्सिर के सिर में गोली लगने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी।
मौत के बाद बिखर गया साहिल का परिवार
कर्बला चौक चिश्तिया नगर के रहने वाले मो साहिल का परिवार मुदस्सिर के जाने के बाद बिखर गया। साहिल से छोटे दो भाई तो हैं मगर वह छोटे हैं।
साहिल डेली मार्केट में मोबाइल पार्ट की दुकान चलाकर अपना और परिवार का अधिकतर खर्च खुद उठाता था। उनके पिता का कहना है कि साहिल के जाने के बाद घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है।
वह ऑटो चलाकर दिनभर में सौ-डेढ़ सौ रुपए ही कमा पाते हैं। दोनों मिलकर कमाते थे तो घर अच्छा से चल जाता था, लेकिन अब तो घर चलाना मुश्किल हो गया है।
साहिल की मौत पर उसके परिवार में मातम पसरा हुआ है। उसकी मां अपने लाडले के बारे में हर समय पूछती फिर रही है। लेकिन उसे अब यह नहीं पता कि उसका बेटा कभी नहीं आएगा।
मुद्दसिर की मां फूट-फूट कर रो रही, चाचा बोले- किसी को नहीं पता कब कहां गया
‘तुम नहीं रोना अम्मी। हम कहीं नहीं जाएंगे। कभी तुमको शिकायत का मौका नहीं देंगे। हम कल से सुधर जाएंगे। तुम मत रो अम्मी। यहां जुलूस निकला हुआ है।
फोन रख दे अम्मी।’रांची हिंसा में मारे गए 16 साल के मुद्दसिर आलम का अपनी मां निखत परवेज से आखिरी बातचीत यही थी। इतना कहते ही निखत फूट-फूटकर रोने लगीं। बेटे की मौत रांची हिंसा में गोली लगने से हो गई है। हिंसा के दौरान उसके सिर में गोली लगी।
पति ने आंसू पोंछ कहा- अल्लाह को याद करो
रांची के हिंदपीढ़ी (Hindpidhi) मुहल्ला स्थित किराए के मकान में निखत जिस समय बैठी थी, उसी समय शाम की नमाज पास की मस्जिद में पढ़ी जा रही थी।
पति परवेज ने उनके आंसू पोंछते हुए कहा कि नमाज हो रही है, अल्लाह को याद करो। रोना बंद करो। नमाज खत्म होते ही एक बार फिर वह अपने भाई को पकड़ कर रोने लगी।
उन्होंने बताया कि, आखिरी बार बातचीत के थोड़ी देर बाद ही मुदस्सिर के दोस्त का फ़ोन आया। उसने बताया कि मुदस्सिर को गोली लग गई है।
रोते हुए वे कहती हैं, कैसे गोली लग गई, अभी तो बतिया रहा था। कौन एतना बड़ा दुश्मन था, सड़क में और कोई नहीं था। निशाना लगा कर काहे मार दिया। मेरा मासूम सा बच्चा क्या बिगड़ा था।
इकलौती संतान था मुदस्सिर
मुदस्सिर अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी। उनकी मां ने उन्हें भले ही जन्म दिया हो, लेकिन उनकी बुआ ने उन्हें पाला था।
मजदूर बाप का यह बेटा अपने रिश्तेदारों में ख़ूब प्यारा था। यही वजह थी कि शनिवार दिनभर उनके घर में रिश्तेदारों के आने-जाने का तांता लगा हुआ था।
अपनी भाभी को चुप करातीं बुआ सन्नो परवीन कहती हैं, “हम ही पाले थे, जब भी मेरी तबियत ख़राब होती थी, वो मेरे पास में रहता था।
घटना से पहले देखे कि घर से जा रहा है. हम मना किए, तो बोला कि दादी के घर जा रहे हैं। परवेज पत्नी और बहन को ढाढस बंधा रहे थे।
चाचा मोहम्मद शाहिद अयूबी ने BBC से कहा, सीधा लड़का था। इस बार बोर्ड की परीक्षा देनेवाला था, खानदान में सबसे मिलकर रहता था, सबको सलाम दुआ करते रहता था।
कल दिन में कैसे गया, कहां गया किसी को कोई जानकारी नहीं है। गोली ऐसी लगी कि उसका सिर फट गया था।