नई दिल्ली/मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ब्याज दर में कोई बदलाव (Change) नहीं किया है। RBI ने लगातार छह बार रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने के बाद सातवीं बार लोगों को बड़ी राहत दी है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने समीक्षा बैठक में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है।
महंगाई दर 5.2 फीसदी अनुमानित
रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बैठक के बाद गुरुवार को एक प्रेस कांफेंस में कहा कि आरबीआई ने अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को और गति देने के लिए नीतिगत दर (Policy Rate) में और बढ़ोतरी नही की गई है।
उन्होंने बताया कि रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। RBI गर्वनर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है। वहीं, महंगाई दर 5.2 फीसदी अनुमानित है।
मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी रहने का अनुमान
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की सोमवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि MPC ने अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने तथा उसे और गति देने के लिए आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने रखने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है। RBI गर्वनर ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है।
क्या होता है रेपो रेट
Repo Rate वह दर होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं। होम-ऑटो सहित ज्यादातर खुदरा कर्ज इसी रेपो रेट पर आधारित होते हैं। इस बार रेपो रेट में बढ़ोतरी (Increase) नहीं होने से बैंक भी खुदरा लोन की ब्याज दरें नहीं बढ़ाएंगे, जिसका फायदा घर खरीदारों को सीधा मिलेगा।
कर्ज महंगा होने से कई सेक्टर पर नेगेटिव असर होता
इससे पहले RBI ने मई, 2022 से फरवरी, 2023 तक रेपो रेट में 2.50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की थी, जो चार फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच चुका है।
वॉयस ऑफ बैंकिंग (Voice of Banking) के फाउंडर अशवनी राणा ने बताया कि RBI ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली MPC बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं कर लोगों को बड़ी राहत दी है।
राणा ने कहा कि रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी से बैंकों से कर्ज लेने वाले ग्राहकों के लिए मुश्किल बढ़ सकती थी, क्योंकि कर्ज महंगा होने से बैंकों सहित कई सेक्टर पर नेगेटिव (Negative) असर होता है।