नई दिल्ली: Madras High Court (मद्रास हाईकोर्ट) ने कहा कि शादी समारोह से पहले विवाह के रजिस्ट्रेशन (Ragistration) को अमान्य माना जाएगा।
अदालत ने यह भी कहा कि बगैर शादी समारोह के किसी भी विवाह पंजीकरण को फेक (Fake) ही माना जाएगा।
High Court ने कहा कि शादी का पंजीकरण (Marriage Registration) करने वाले अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह रजिस्ट्रेशन करने से पहले इस बात की जांच करे कि वास्तव में शादी हुई है या नहीं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बिना किसी विवाह समारोह (Marriage Ceremony) के शादी का पंजीकरण करा लेने मात्र से दंपति शादीशुदा नहीं कहला सकता।
महिला को धमका कर मैरिज रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवाया गया था
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, जस्टिस आर विजयकुमार ने उस मैरिज सर्टिफिकेट (Marriage Certificate) को रद्द कर दिया, जिसमें एक महिला को धमका कर मैरिज रजिस्टर (Marriage Register) पर हस्ताक्षर करवाया गया था।
कोर्ट ने कहा कि बगैर शादी का सत्यापन किए पंजीकरण अथॉरिटी किसी पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन के आधार पर शादी को रजिस्टर्ड नहीं कर सकती।
अगर मैरिज सर्टिफिकेट बगैर किसी विवाह समारोह से पहले जारी किया जाता है तो इसे फेक मैरिज सर्टिफिकेट (Fake Marriage Certificate) माना जाएगा।
पंजीकरण प्राधिकरण केवल वैधानिक रूपों पर भरोसा नहीं कर सकता है
Court ने आगे कहा कि पंजीकरण प्राधिकरण केवल वैधानिक रूपों पर भरोसा नहीं कर सकता है और ऐसे ही शादी को पंजीकृत करने के लिए आगे नहीं बढ़ सकता।
पंजीकरण प्राधिकारी को खुद इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या वास्तव में दंपति ने विवाह समारोह (Marriage Ceremony) में भाग लिया है।
जज ने कहा कि तमिलनाडु विवाह पंजीकरण अधिनियम (Tamil Nadu Marriage Registration Act) , 2009 के प्रावधानों और इसके तहत बनाए गए नियम स्पष्ट रूप से इस बात को दर्शाते हैं कि दंपति के लिए विवाह के उन समारोहों से गुजरना अनिवार्य है, जो उनके संबंधित धर्म पर लागू होते हैं।
दरअसल, कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला द्वारा अपने विवाह पंजीकरण को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
महिला ने कहा कि उसके चचेरे भाई ने उससे झूठ बोला था कि उसकी मां बीमार है और बहाना बनाकर उसे कॉलेज से ले गया। हालांकि, वह उसे घर के बदले एक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में ले गया और शादी के रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने की धमकी दी।