नई दिल्ली : रिसर्च एंड डेवलपमेंट (Research and Development) पर भारत में प्राइवेट और पब्लिक फंडिंग (Private & Public Funding) में भारी कटौती होने के कारण चीन (China) से काफी पीछे भारत चला गया है।
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो भारत अपनी GDP का महज 0.7 फीसदी ही रिसर्च पर खर्च करता है। जबकि चीन 2.5 फीसदी हिस्सा खर्च करता है।
भारत में रिसर्च की स्थिति कुछ ठीक नहीं
जानकार बताते हैं कि कोई देश भविष्य के लिए कितना तैयार है, वर्ल्ड ऑर्डर (World order) में उसका कितना दबदबा है या आगे रहने वाला है, इसका अंदाजा बहुत हद तक इससे लगाया जा सकता है कि वहां रिसर्च का क्या हाल है।
क्वॉलिटी रिसर्च (Quality Research) के लिए कोई देश कितना पैसा खर्च कर रहा है? लेकिन भारत में Research की स्थिति कुछ ठीक नहीं है।
रिसर्च के सेन्ट्रलाइज होने को लेकर चिंताएं
China के सामने हम फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आंकड़ें भी इसकी गवाही देते हैं।
रिसर्च के क्षेत्र में भारत को दुनिया के शीर्ष देशों की कतार में खड़ा करने के लिए केंद्र सरकार (Central government) अब नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (National Research Foundation) बनाने जा रही है जिसके पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे।
भले ही केन्द्र ने देर से निर्णय लिय है, लेकिन इससे रिसर्च के सेन्ट्रलाइज (Centralize) होने को लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं।
भारत हर साल रिसर्च पर करता है 15 अरब डॉलर खर्च
आंकड़ों के आधार पर रिसर्च को लेकर भारत और चीन की गंभीरता को देखें तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं।
रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (R&D) पर भारत में प्राइवेट और पब्लिक फंडिंग मिलाकर जितना खर्च होता है, वो GDP का महज 0.7 प्रतिशत है।
दूसरी तरफ चीन R&D पर अपनी GDP का 2.5 प्रतिशत खर्च करता है। गौरतलब है कि चीन की GDP हमारी तुलना में 5 से 6 गुना बड़ी है।
रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (R&D) पर अमेरिका जहां हर साल 640 अरब डॉलर खर्च करता है, वहीं चीन भी 580 अरब डॉलर खर्च करता है।
अगर भारत की बात करें तो वह हर साल रिसर्च पर सिर्फ 15 अरब डॉलर खर्च करता है। 2022 में भारत ने पेटेंट (Patent) के लिए 60 हजार से ज्यादा आवेदन किए थे।
दूसरी तरफ उसी अविधि में चीन ने 40 लाख पेटेंट फाइल किए थे। इनमें से 25 प्रतिशत यानी 1 लाख तो हाई वैल्यू पेटेंट (High Value Patent) थे।
साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने बताया
जानकारी यह भी मिली है कि संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) में सरकार नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) बिल 2023 लाने वाली है।
इससे देश में रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट का पूरा चेहरा बदल सकता है। इस बिल से रिसर्च के लिए प्राइवेट फंडिंग का रास्ता भी साफ होगा।
केंद्र सरकार का कहना है कि एनआरएफ के तहत जो भी फंडिंग होगी, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा प्राइवेट सेक्टर से आएगा।
साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर (Science & Technology Minister) जितेंद्र सिंह ने बताया कि संस्थाओं, अकैडमिक और प्राइवेट सेक्टर (Academic & Private Sector) में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए NRF एक थिंक-टैंक होगा।