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झारखंड में बालू की किल्लत, चोरी छिपे बिक रहे बालू के लोग दे रहे दुगना से तीगुना दाम, प्रधानमंत्री आवास और सरकारी कम पड़ा ठप्प

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रांची: राज्य में बालू (Sand) के किल्लत के कारण निजी निर्माण कार्य लगभग बंद है। निजी कार्य बंद होने से निर्माण कार्य (Construction work) से जुडे राज मिस्त्री, मजदूर आदि बेरोजगार (Unemployed) हो गए है।

मजदूरो को काम नहीं मिलने से उनके समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। मजदूर अनसेलम, राजेश्वर, अंतु, रामू ने कहा कि निर्माण कार्य नहीं होने से काम बंद हो गया है। जिसके कारण पिछले एक सप्ताह से उन्हें कोई काम नहीं मिला है।

चोरी छिपे बिक रहे है बालू लोग दे रहे है दुगना से तीगुना दाम

जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में कही कहीं चोरी छिपे बालू की बिक्री हो रही है। निजी निर्माण कार्य करा रहे लोग बालू के लिए दुगना से तीगुना रेट दे रहे है।

हांलकि बालू के कालाबाजारी (Black Marketing) की सूचना नहीं मिली है। प्रशासन की सख्ती और लगातार छापामारी के बाद जिले अधिकांश जगहों पर बालू की बिक्री पुरी तरह से बंद है।

15 अक्टूबर तक परेशानी

सरकार ने पहले से हीं पंचायत चुनाव के कारण बालू घाटों का टेंडर नही किया है। एनजीटी द्वारा पारित आदेश के आलोक में राज्य के बालू घाटों से बालू का उठाव बारिश के मौसम में नहीं होना है।

वर्ष 2020 से मॉनसून (Monsoon) अवधि में यानी 10 जून से 15 अक्तूबर तक बालू के खनन पर पूरी तरह से रोक लगायी गयी है। इससे 15 अक्तूबर तक बालू संकट कायम रहने की आशंका है।

बिक रहा है अवैध बालू

अलग-अलग जिलों में बालू घाटों का टेंडर नहीं किया गया है। आधिकारिक रूप से रांची (Ranchi) में ही पिछले दो वर्ष से बालू का खनन बंद है। अवैध उठाव कर बाजार में बेचा जा रहा है।

माफि या बालू का उत्खनन कर मुंहमांगी कीमत पर बालू बेच रहे हैं। 15,000 रुपये हाइवा , 600 रुपए सीएफ टी की कीमत बढ़ कर 22 हजार रुपए तक पहुंच गयी है। इसी तरह तीन हजार रुपए ट्रक 130 सीएफ टी की कीमत बढ़ कर 5000 रुपए हो गई है।

अवैध खनन पर सख्ती बरतने के निर्देश के बाद जिले में बालू की किल्लत

सरकार के द्वारा अवैध खनन पर सख्ती बरतने के निर्देश के बाद जिले में बालू की किल्लत हो गई है। एक सप्ताह तक असानी से 700 रुपए से 1000 रुपए तक प्रति ट्रैक्टर मिलने वाला बालू अब आम लोगो की पहुंच से दुर हो गया है। लोगों को निजी कार्य के लिए बालू नहीं मिल रहा है।

हांलांकि सरकारी एवं सामुदायिक कार्य के लिए जिले में कैटेगिरी वन (Category One) के पांच बालू घाट चालू है। जहां संबंधित बीडीओ के आदेश से बालू का उठाव हो रहा है।

लेकिन निजी कार्य के लिए बालू नहीं मिल रहा है। बालू की किल्लत से जिले में कई निर्माण कार्य ठप हो गए है। जिसमें कई सरकारी कार्य भी शामिल है।

बालू की व्यवस्था करे सरकार : आजसू

प्रधानमंत्री आवास (Prime Minister’s Residenc) और सरकारी कार्य बालू के बिना ठप्प पड़ा हुआ है।

आजसू के केंद्रीय सचिव सतीश कुमार ने गुरूवार को कहा कि अब तक बालू घाट की निलामी नही हुई। 15 जून से 15 अक्टूबर तक बालू उठाव पर प्रतिबंध रहता है।

जिन गरीबों को सरकारी आवास मिला है वो अपने असियाना उजाड़ कर सड़क पर आ गए है। आवास के लिए स्टेज वाईज खाता में पैसा सरकार भेजती है।

लोगों को समझ नहीं आ रहा कि अब करे तो क्या करें । प्रशासनिक चुप्पी से अब बेघर लोग बरसात आ गया अपने परिवार और बच्चों को लेकर आखिर कहा जाएगें।

सतीश ने कहा कि सरकार को अबिलंम्ब उपायुक्त या सरकारी एजेंसियों (Agencies) से बालू का परमिट जारी करना चाहिए ।

सरकारी आवास व विभागीय कार्य को सुचारू ढंग से निर्माण करने के लिए निर्धारित दर पर बालू उपलब्ध कराना चाहिए।

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