नई दिल्ली: ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका (कोविशील्ड) और जॉनसन एंड जॉनसन (जेनसेन) के टीकों से ख़ून के थक्के जमने की रिपोर्टें मिलने के बाद कई देशों ने इसे युवाओं को न देने का फ़ैसला किया है।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर यानी एफ़डीए और रोग नियंत्रण और प्रतिरोधक केंद्र ने 18 से 48 साल की उम्र की छह महिलाओं के शरीर में टीके के बाद ख़ून के दुर्लभ थक्के जमने का मामला सामने आने के बाद जॉनसन ऐंड जॉनसन के टीके पर रोक लगा दी थी।
ब्रिटेन में भी कोविशील्ड के टीके को लेकर ऐसी ही आशंकाएं जताई गईं।
डेनमार्क ने तो एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके बाद दूसरे देशों की नज़र डेनमार्क के इस्तेमाल न हो रहे इन टीकों पर गई है।
चेक गणराज्य ने डेनमार्क के पास मौज़ूद सभी एस्ट्राजेनेका टीके खरीदने की पेशकश की है। इस तरह की रुचि एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया जैसे देशों ने भी दिखाई है।
दावा किया गया है कि कोरोना के टीके लेने के बाद कई लोगों (10 लाख में एक से भी कम) ख़ासकर युवाओं में दुर्लभ और कभी-कभी घातक ख़ून के थक्के जमने के मामले देखने को मिले हैं।
इसके बाद इन टीकों के प्रयोग को लेकर चिंताएं काफ़ी बढ़ गई हैं।
हालांकि, दुनिया भर के स्वास्थ्य नियामकों का कहना है कि कोविड-19 को रोकने में इन टीकों के जो फायदे हैं वे इसके नुक़सान के ख़तरों से कहीं ज्यादा हैं।