नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और मनसुख मंडाविया ने शनिवार को यहां कैलाश खेर के गाये गीत ‘टीके से बचा है देश, टीके से बचेगा देश’ लॉन्च किया।
इसका मकसद लोगों में कोरोना महामारी के खिलाफ कारगर उपाय यानी टीकाकरण के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, मंत्रालय में सचिव तरुण कपूर, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और गीत के निर्माता तेल एवं गैस से जुड़े सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी भी मौजूद थे।
भारत अगले सप्ताह 100 करोड़ टीकों का लक्ष्य हासिल करने जा रहा
गीत लांच के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि भारत अगले सप्ताह 100 करोड़ टीकों का लक्ष्य हासिल करने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जब पिछले साल मार्च में देश लॉकडाउन लगा उस समय भारत पीपीई किट, वेंटिलेटर और अन्य आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के लिए आयात पर निर्भर था, लेकिन थोड़े समय के भीतर हम इन सभी चीजों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने में सक्षम हो गए और अब हम निर्यात के लिए तैयार हैं।
उन्होंने इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि यह बहुत संतोष की बात है कि नकारात्मक कहानी बनाने की कोशिश करने वाले विफल रहे और कोविड के खिलाफ लड़ाई ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया।
उन्होंने कहा कि वायरस दुश्मन है और इससे लड़ने के लिए सभी ने हाथ मिलाया है। पुरी ने कहा कि गायक लोगों की कल्पना पर कब्जा कर सकते हैं और खेर का यह गीत मिथकों को दूर करने और टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने में बहुत मदद करेगा।
मंडाविया ने कहा कि देश में 97 करोड़ से अधिक टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और चिकित्सा बिरादरी पर भरोसा जताया और फिर एक साल के भीतर स्वदेशी वैक्सीन तैयार हुई।
उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विश्वास सबका प्रयास का ही नतीजा है कि हम देश के कोने-कोने में टीकों को वितरित करने और इतनी कम अवधि में इतनी बड़ी संख्या में टीकाकरण करने का कठिन कार्य करने में सक्षम हुए।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में आने वाले हफ्ते में 100 करोड़ वैक्सीन का डोज लग जाएंगी। कैलाश खेर ने कहा कि संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि इसमें दूसरों को प्रेरित करने के गुण भी हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है जहां दुनिया अपनी क्षमता और उपलब्धियों को पहचानती है लेकिन कुछ गलतफहमियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रेरक गीतों के माध्यम से नैतिक समर्थन और जागरूकता पैदा की जा सकती है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह गीत मिथकों को दूर करने और टीके की स्वीकार्यता को बढ़ावा देने में एक लंबा सफर तय करेगा।