नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने पदक जीतकर मेजर ध्यानचंद को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है।
साथ ही उन्होंने कहा कि वह हॉकी को सम्मानित करना चाहते थे,इसलिए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम से किया।
बता दें कि ओलंपिक खिलाड़ियों के सम्मान में सोमवार को प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर एक खास कार्यक्रम रखा गया था।
प्रधानमंत्री ने हॉकी खिलाड़ियों से बातचीत में कहा,“भारत ओलंपिक में चाहें जितने पदक जीत ले,लेकिन यदि हॉकी में पदक नहीं मिलता तो देश को महसूस ही नहीं होता की हमें जीत मिली है।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला और पुरूष दोनों टीमों ने अच्छा खेल दिखाया। आपने हॉकी में पदक लाकर मेजर ध्यानचंद को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है।
इसी को देखते हुए मैनें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम से कर दिया,क्योंकि मैं हॉकी को सम्मानित करना चाहता था।”
प्रधानमंत्री ने गोलकीपर श्रीजेश की तारीफ करते हुए उन्हे “दीवार” करार दिया। उन्होंने श्रीजेश से के साथ बात की और कहा कि उन्होंने एक दीवार के रूप में प्रतिष्ठा पाई है।”
प्रधानमंत्री ने मजाकिया लहजे में कहा कि हॉकी और क्रिकेट में एक अंतर यह है कि क्रिकेट में विकेटकीपर को सब जानते हैं,क्योंकि वह कैमरे के सामने होता है,जबकि हॉकी में मैच जीतने के बाद भी गोलकीपर को कोई नहीं जानता।
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया था।
भारतीय टीम ने ओलंपिक में यह पदक 41 साल बाद जीता है। भारतीय टीम ने इससे पहले 1980 मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।