नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दबाव, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन (Religion change) के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की मांग पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर होगी।
शुक्रवार को जस्टिस MR Shah की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
याचिका में ईसाई बनने का दबाव बनाए जाने के चलते आत्महत्या करने वाली तमिलनाडु की Lavanya के मामले समेत दूसरी घटनाओं का हवाला दिया था।
भारत में धर्मांतरण को रोकना सरकार की जिम्मेदारी है
याचिका में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में निचले तबके के लोगों खासकर अनुसूचित जाति और जनजातियों (Scheduled Castes and Tribes) के लोगों के धर्मांतरण में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। धर्मांतरण के लिए हमेशा ही आर्थिक रुप से कमजोर तबके को टारगेट किया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि यह अपने धर्म के प्रचार प्रसार के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन करता है । भारत में धर्मांतरण को रोकना सरकार की जिम्मेदारी है।
याचिका में कहा गया है कि विदेशी चंदे पर चलने वाले एनजीओ को धर्मांतरण के लिए मासिक टारगेट (Monthly Target) दिया जाता है। याचिका में कहा गया है कि अगर सरकार इसके खिलाफ कदम नहीं उठाती है तो देश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।