Latest NewsUncategorizedजहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने पर सुप्रीम रोक बरकरार, सुनवाई दो हफ्ते टली

जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने पर सुप्रीम रोक बरकरार, सुनवाई दो हफ्ते टली

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने पर रोक के आदेश को बरकरार रखा है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।

कोर्ट ने कहा कि सभी लोग एक दूसरे की दलीलों पर जवाब दें। फिलहाल बुधवार का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। कोर्ट ने कहा कि हम सभी याचिकाओं पर नोटिस कर रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि अगर हमारे आदेश के बाद भी कार्रवाई चलती रही है तो हम इसे भी गंभीरता से लेते हैं। यथास्थिति का आदेश सिर्फ दिल्ली के लिए है।

सुनवाई के दौरान वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मसला है। पहले कभी दंगे के बाद इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इनको केस के तथ्यों पर बात करने के लिए कहिए। यह भाषण का मंच नहीं है। तब कोर्ट ने दवे से कहा कि आप केस पर बात करिए।

दवे ने कहा कि कानूनन 5 से 15 दिनों का नोटिस मिलना चाहिए था। ऐसे मामलों में कई बार कोर्ट ने नोटिस की मियाद को बढ़ाया है। बीजेपी नेता ने चिट्ठी लिखी और लोगों को बिना मौका दिए कार्रवाई हो गई।

दिल्ली में 1731 अनधिकृत कॉलोनी है। लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। लेकिन एक ही कॉलोनी को निशाना बनाया जा रहा है। दवे ने कहा कि 30 साल से ज्यादा पुराने निर्माण को अचानक गिराना शुरू कर दिया।

यहां जंगलराज जैसा चल रहा है। सैनिक फार्म और जहां मैं रहता हूं, उस गोल्फ़ लिंक्स में हर दूसरे घर में अवैध निर्माण है।

निगम की वहां कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है जबकि जहांगीरपुरी में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की चिट्ठी पर कार्रवाई हो रही है।

कोर्ट ने कहा कि यह काम बुलडोज़र से ही होता है

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण और अवैध निर्माण पूरे देश की समस्या है लेकिन इसकी आड़ में एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं।

मध्य प्रदेश के मंत्री ने कहा कि अगर मुसलमान शांत नहीं रहेंगे, तो उनसे कोई रियायत नहीं होगी। यह समय है कि कोर्ट यह संदेश दे कि देश में कानून का शासन है।

तब जस्टिस राव ने कहा कि हम देश भर में अतिक्रमण हटाने का अभियान रोकने का आदेश नहीं दे सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि मैं बुलडोज़र की बात कर रहा हूं।

जिस तरह से सब हो रहा है, यह गलत है। तब कोर्ट ने कहा कि यह काम बुलडोज़र से ही होता है। वैसे हम आपकी बात समझ गए।

अतिक्रमण हटाने का नोटिस प्रभावित परिवारों को नहीं दिया गया

सुनवाई के दौरान दवे, पीवी सुरेंद्रनाथ, संजय हेगड़े और शमशाद ने कहा कि बुधवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभियान चलता रहा।

तब तुषार मेहता ने कहा कि इलाके में 19 जनवरी से अभियान चल रहा है। अब एक संगठन (जमीयत उलेमा ए हिंद) मामले में कूद गया है।

अभी तक स्थानीय लोग हाई कोर्ट नहीं गए, क्योंकि उन्हें पता है कि कागज़ दिखाने पड़ेंगे। मेहता ने कहा कि खरगौन में हिंदुओं की भी 88 संपत्ति तोड़ी गई हैं।

इसके नोटिस 2021 में दिए गए थे। यह एक पैटर्न बन गया है कि कोई संगठन मामले में कूदता है, फिर इसे राजनीतिक मसला बना लिया जाता है।

सीपीएम नेता वृंदा करात ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में कोर्ट के आदेश के बावजूद बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण की कार्रवाई करते रहने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।

करात का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए शुरू कर दिया गया।

अतिक्रमण हटाने का नोटिस प्रभावित परिवारों को नहीं दिया गया। याचिका में कहा गया है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

दुकान पूरी तरह से वैध थी।

याचिका में कहा गया है कि जहांगीरपुरी इलाके में अधिकांश गरीब लोग रहते हैं। वहां मुस्लिमों की तादाद ज्यादा है। अतिक्रमण हटाने के लिए गरीब लोगों को ही टारगेट किया गया।

वृंदा करात ने याचिका में कहा है कि वो जहांगीरपुरी में 10 बजकर 45 मिनट पर पहुंची थीं। वहां अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 12 बजकर 25 मिनट तक कार्रवाई की गई, जो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।

जहांगीरपुरी में जूस की दुकान के मालिक गणेश गुप्ता भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। याचिका में कहा गया है कि उनके पास दुकान के लिए ज़रूरी लाइसेंस थे। दुकान पूरी तरह से वैध थी।

इसके बावजूद उनकी दुकान ढहा दी गई। गणेश गुप्ता ने मांग की है कि उन्हें इस नुकसान की एवज में नगर निगम से उचित मुआवजा मिले।

याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया था

उल्लेखनीय है कि 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दिया था। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया था।

20 अप्रैल को वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा था कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया दो बजे दिन में शुरू होने वाली थी लेकिन ये सुबह नौ बजे ही शुरू हो गई।

उन्होंने कहा था कि इसके लिए औपचारिक याचिका दायर कर दी गई है।

उसके बाद कोर्ट ने अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने और याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया था।

उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। इस मामले में अब तक 20 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

उधर, नगर निगम ने अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण की कार्रवाई का आदेश जारी किया था।

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