रांची: लंबे समय से स्थायीकरण व वेतनमान की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे राज्य के 65 हजारा पारा शिक्षकों की सब्र का बांध उस समय टूट गया जब झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो से मिला और पारा शिक्षक सेवा शर्त नियमावली को लेकर उन्हें निराशा हाथ लगी।
पारा शिक्षकों के मामले को लेकर झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ राज्य इकाई के अध्यक्ष अध्यक्ष मो सिद्दीक शेख़ की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें पारा शिक्षकों के मामले को लेकर सभी साथियों को अवगत कराया गया।
इसके बाद बैठक में पारा शिक्षकों के अंदर सरकार के प्रति आक्रोश का माहौल दिखा। साथ ही पारा शिक्षकों ने परीक्षा के बहाने खुद को हटाने वाली सरकार की नियमावली एकसिरे से खारिज कर दी।
साथ ही राज्य के हेमंत सरकार को यह चेतावनी भी दे डाली कि पारा शिक्षकों को हटाने का जिक्र नियमावली से हटाना होगा।
अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो पारा शिक्षक सड़क से लेकर सदन तक जोरदार विरोध दर्ज कराएंगे और इसकी सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी।
बैठक का संचालन संघ के महासचिव विकास कुमार चौधरी ने किया, जहां प्रधान सचिव सुमन कुमार ने बैठक के एजेंडों को विस्तार से बताया।
झारखंड के पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान पर बिहार की नियमावली का अध्ययन कर रहे शिक्षा मंत्री
नियमावली का प्रारूप नहीं मिलने से आक्रोश
कहा गया कि हेमन्त सरकार राज्य के 65000 पारा शिक्षकों की सेवा स्थायीकरण सह वेतनमान के वादे के साथ सत्ता में आई है, ये पारा शिक्षकों के संघर्ष से ही सत्ता मिली है। अब सरकार को अपना वादा निभाना होगा, कैसे पूरा होगा ये सरकार जाने।
चेन्नई से इलाज कराकर लौटने के बाद ही पारा शिक्षकों की सेवा स्थायीकरण एवं वेतनमान के निमित्त नियमावली पर हस्ताक्षर करने का वादा पूरा नहीं हुआ। एक सप्ताह में नियमावली का प्रारूप नहीं मिलने से पारा शिक्षकों में आक्रोश है।
वेतनमान देना ही होगा
पारा शिक्षकों ने कहा कि अपने जीवन का सारी जवानी सरकार की सेवा में गंवा दी, अब बुढ़ापे में नियमावली के नाम पर छलने का प्रयास किया गया तो सरकार के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ेगा।
राज्य के प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को वेतनमान कैसे मिले, ये राज्य सरकार की जिम्मेवारी है और सरकार को इसे पूरा करना ही होगा।
प्रस्तावित नियमावली में राज्य के अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को नियमावली से बाहर रखने या तीन दक्षता परीक्षा में अनुत्तीर्ण पारा शिक्षकों को हटाने की बात समाहित रही तो विरोध किया जाएगा।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में मुख्य रूप से महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्षा नेली लूकस, महासचिव सीमा मुंडारी, संजय पाठक, एजाज उल हक, नीरज कुमार, अरुण झा, दिलशाद अहमद, जयराज भारद्वाज, नीलांबर रजवार, दुर्गा चरण पाल, अजीत सिंह, श्रीनिवास पांडे, नागेन्द्र कुमार, दिलचद महतो, अनिल राजवंशी, सुनील पांडेय, शमशुल हक, मोहसिन अजमल, नसीम अहमद, युधिष्ठिर मंडल, सुरेंद्र भंडारी, कृष्णा लोहार, बिंदेश्वर यादव के साथ जिला सचिव पाकुड़, जिला सचिव गुमला आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
जानिये पारा शिक्षकों की क्या हैं मांगें
1. झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ द्वारा 7 अगस्त एवं 18 अगस्त को मंत्री जगन्नाथ महतो के साथ वार्ता में पारा शिक्षकों की सेवा स्थायीकरण एवं वेतनमान के लिए प्रस्तावित बिहार मॉडल पर सहमति बनी थी।
शिक्षा मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से तमाम मीडिया के समक्ष यह घोषणा की गई थी। झारखंड में कार्यरत किसी भी पारा शिक्षकों को हटाया नहीं जाएगा। अब अगर हटाने का उल्लेख नियमावली में समाहित रहा तो नियमावली का विरोध सड़क से लेकर सदन तक होगा।
2. प्रस्तावित नियमावली का प्रारूप शिक्षा मंत्री की घोषणा अनुरूप कैबिनेट में जाने से पहले संगठन को दिया जाए।
3. 2 नवंबर 2015 से सरकार से तय वार्ता के अनुसार, 10 प्रतिशत मानदेय वृद्धि की जाए, 2018 के बाद मानदेय वृद्धि नहीं हुआ है ।
4. अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को ई विधावाहिनी पोर्टल में रजिस्ट्रेशन हेतु जिला परियोजना कार्यालय जोड़ने का काम करे।
5. अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण पूर्ण करने के दिशा में एनआइओएस दिल्ली एवं इग्नू दिल्ली से संपर्क झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ द्वारा किया जाएगा।