नई दिल्ली: Indian Army में महिला अफसरों (Female Officers) के प्रति भेदभाव किए जाने का मसला सामने आया है।
शनिवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को जब पता चला तो वो भौचक रह गए।
उन्होंने डिफेंस मिनिस्ट्री (Defense Ministry) को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि अपना घर दुरुस्त कर लो, नहीं तो ठीक नहीं होगा।
CJI महिला अफसरों के प्रति किए जा रहे भेदभाव को जानकर इतने ज्यादा गुस्से में आ गए कि उन्होंने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General) को मौखिक रूप से कहा कि जो सबसे ऊपर बैठा है, उसे भी बता देना कि अगर हमारे फैसलों को दरकिनार करने की कोशिश भी कि तो बुरा अंजाम भुगतना होगा।
प्रमोशन में दरकिनार करने के लिए नए नियम गढ़ दिए
दरअसल, CJI को सुनवाई के दौरान बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बावजूद सेना ने महिला अफसरों को प्रमोशन (Promotion) में दरकिनार करने के लिए नए नियम गढ़ दिए हैं।
इन बैरियर्स (Barriers) की वजह से महिला अफसरों को पदोन्नति के मामले में पुरुष अफसरों से पीछे रहना पड़ रहा है। CJI सच जानकर भौंचक थे।
CJI ने Solicitor General से कहा कि अभी हम केवल नोटिस दे रहे हैं। चीजें ठीक नहीं हुईं तो हम आपको सबक सिखाने से गुरेज नहीं करेंगे।
नहीं तो हम शुरू करेंगे अवमानना की कार्रवाई
उनका कहना था कि अपने ऊपर वालों को बता दो कि वो सब कुछ अपने आप ठीक कर लें, नहीं तो हम अवमानना की कार्रवाई शुरू करेंगे।
अगली बार अगर आपने हमें कुछ और बताकर गुमराह करने की कोशिश भी की तो हम आपको सही से काम करने का तरीका भी बता देंगे।
CJI ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों का हवाला देकर कहा कि आप हमारे आदेश को भी नहीं मान रहे हैं। ये सब नहीं चलने वाला है।
दरअसल, CJI चंद्रचूड़ एवं जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) ने सेना में तैनात महिला अफसरों की याचिका पर सुनवाई की।
प्रमोशन में पुरुष अफसरों को महिला अफसरों पर तरजीह
इसमें कहा गया था कि बेशक भारतीय सेना महिलाओं को कमीशन अफसर के तौर पर नियुक्त कर रही है, लेकिन प्रमोशन और कमांड पोस्टिंग (Promotion & Command Posting) में उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
महिला अफसरों का कहना था कि ACR के नियमों को तोड़-मरोड़ करके उनके साथ ये भेदभाव किया जा रहा है।
प्रमोशन के मामले में पुरुष अफसरों को महिला अफसरों पर तरजीह दी जाती है। महिला अफसरों की तरफ से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया।
मार्च 2021 में किए थे कुछ दिशा-निर्देश जारी
महिला सैन्य अफसरों ने लेफ्टिनेंट कर्नल नितिशा बनाम केंद्र सरकार (Lt Col Nitisha Vs. Central Government) के केस में अपनी याचिकाएं दायर की थीं।
मार्च 2021 में उस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस DY Chandrachud की बेंच ने सेना में महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन (Permanent Commission) देने को लेकर केंद्र को कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे।
2020 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारतीय सेना का महिलाओं को परमानेंट कमीशन न देने का फैसला गैर कानूनी है।
नितिशा मामले में Supreme Court के फैसले का ये सरासर उल्लंघन
हालांकि, उसके बाद सेना ने महिलाओं को कमीशन अफसर के तौर पर शामिल करने का रास्ता तो खोला। अलबत्ता अब विवाद उनको सहूलियतें देने को लेकर है।
सीनियर एडवोकेट (Senior Advocate) वी मोहना ने पिछली सुनवाई में Supreme Court को बताया था कि बेशक महिलाओं को अब सेना में कमीशन अफसर के तौर पर शामिल किया जा रहा है, लेकिन उनको उनके अधिकारों से महरूम रखा जा रहा है।
उनके प्रमोशन का फैसला करने के लिए सेना ने कोई सिलेक्शन बोर्ड (Selection Board) तक नहीं बनाया है। उनका कहना था कि नितिशा मामले में Supreme Court के फैसले का ये सरासर उल्लंघन है।