नई दिल्ली/रांची: Delhi High Court (दिल्ली हाई कोर्ट) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और राज्यसभा MP Shibu Soren.के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले (Disproportionate Assets Case) में लोकपाल के समक्ष चल रही कार्रवाई को लेकर सुनवाई टाल दी है।
जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को करने का आदेश दिया। शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल के समक्ष चल रही कार्रवाई पर लगी रोक जारी रहेगी।
जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने 12 सितंबर को लोकपाल के समक्ष चल रही कार्रवाई पर रोक लगाकर सांसद निशिकांत दुबे को नोटिस जारी किया था।
हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर शिबू सोरेन को नोटिस जारी किया गया था।
शिकायत करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है : सोरेन
निशिकांत दुबे की ओर से कहा गया था कि उन्होंने शिबू सोरेन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए लोकपाल के यहां याचिका दायर की है, लेकिन शिबू सोरेन ने हाई कोर्ट (High Court) के समक्ष गलत तथ्यों को पेश कर अपने पक्ष में आदेश पारित करवा लिया।
दुबे ने कहा था कि शिबू सोरेन के खिलाफ जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, ऐसे में जांच पर रोक लगाने का कोई मतलब नहीं है।
दुबे ने कहा था कि हाई कोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना ही लोकपाल की जांच पर रोक लगा दी। उन्हें कोर्ट के आदेश की जानकारी मीडिया के जरिए लगी। उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
शिबू सोरेन ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर कर लोकपाल के समक्ष चल रही कार्रवाई को चुनौती दी है। सोरेन की याचिका में कहा गया है कि इस मामले में उनके खिलाफ कोई जांच नहीं की जा सकती है, क्योंकि शिकायतकर्ता ने घटना के सात साल बाद शिकायत की है।
सोरेन ने कहा है कि लोकपाल एंड लोकायुक्त एक्ट (Lokpal and Lokayukta Act) की धारा 53 के तहत इस मामले में शिकायत करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
फरवरी 2022 तक सोरेन को शिकायत की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई
सोरेन की याचिका में कहा गया है कि 5 अगस्त, 2020 को लोकपाल के समक्ष शिबू सोरेन, उनकी पत्नी और बच्चों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।
फरवरी 2022 तक सोरेन को शिकायत की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई। सितंबर 2020 में CBI को इस मामले में प्रारंभिक जांच का आदेश दिया गया था।
सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने दस साल में आय से काफी अधिक मात्रा में संपत्ति हासिल की। उन्होंने संपत्ति न केवल अपने नाम पर बल्कि अपने परिवार के दूसरे सदस्यों और कंपनियों (Members And Companies) के नाम पर की।