नई दिल्ली: कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या और पलायन की जांच की मांग का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कश्मीरी पंडितों की संस्था ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर इस मामले की जांच की मांग की है।
इस याचिका में कहा गया है कि अगर 33 साल बाद 1984 के सिख दंगों की जांच हो सकती है तो इस मामले में भी ऐसा हो सकता है।
2017 में सुप्रीम कोर्ट यह कहते हुए रिव्यू याचिका खारिज कर दी थी कि नरसंहार के 27 साल बाद सबूत जुटाना मुश्किल है।
इससे पहले 2017 में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि 215 एफआईआर दर्ज की गईं लेकिन एक मामले में भी कार्रवाई नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि कश्मीर में 1989-90 में कश्मीरी पंडितों को कत्लेआम की धमकी देकर अपने घरों से भागने पर मजबूर किया गया था।
धमकियों से न डरने वाले कश्मीरी पंडितों को मार डाला गया, उनके घरों को लूट लिया गया और उन्हें जला दिया गया।