नई दिल्ली: देश के नए संसद भवन (New Parliament Building) की अनेकों खूबियां हैं।
नए संसद भवन को फूलप्रूफ साइबर सिस्टम (Foolproof Cyber System) से लैस किया गया है।
जिन विशेषज्ञों ने इस सिस्टम को तैयार किया है, उन्होंने इसे ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ (State of Art) साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) का नाम दिया है।
यानी Cyber Security के मामले में अत्याधुनिक सुरक्षा घेरा। इस सिस्टम को ‘प्रो एक्टिव साइबर सिक्योरिटी’ (Pro Active Cyber Security) भी कहा जा सकता है।
नए संसद भवन में चीन, पाकिस्तान सहित अन्य किसी भी देश के हैकर्स सेंध नहीं लगा सकते।
इतना ही नहीं, संसद भवन का साइबर सिक्योरिटी सिस्टम इतना मजबूत है कि वह साइबर अपराध की काली दुनिया ‘डार्क वेब’ (Dark Web), जिसे ‘इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड’ भी कहा जाता है, को पार्लियामेंट के IT सिस्टम (IT Systems) के निकट भी नहीं फटकने देगा।
यहां के उपकरणों में सेंध नहीं लगा सकता हैकर
नए संसद भवन में फूलप्रूफ साइबर सिस्टम को तैयार करने वाली टीम के सूत्रों का कहना है कि कोई भी हैकर, यहां के उपकरणों में सेंध नहीं लगा सकता।
यही वजह है कि इसे ‘State of Art’ कहा गया है। संसद भवन के हर कोने में ‘डिजिटल सर्विलांस’ का घेरा रहेगा।
इसमें आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की भी मदद ली गई है।
किसी भी आपातकालीन स्थिति का मुकाबला करने के लिए डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम (Double Security Operating System) तैयार किया गया है।
डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम किया गया तैयार
संसद भवन में Internet एकीकृत नेटवर्क के अलावा एयर-गैप्ड कंप्यूटर (Air-Gapped Computer) तकनीक भी रहेगी।
एयर-गैप्ड कंप्यूटर, मौजूदा नेटवर्क से जुड़े उपकरणों के साथ वायरलेस या भौतिक रूप से कनेक्ट नहीं हो सकता।
एयर गैप कंप्यूटर सिस्टम के जरिए Data को मैलवेयर और रैनसमवेयर से पूर्ण सुरक्षा मिलती है।
इसे इंट्रानेट यानी बाकी नेटवर्क से अलग सिस्टम भी कहा जाता है।
नए संसद परिसर में सुरक्षा संचालन केंद्र (SOC) द्वारा वाईफाई पर 2,500 इंटरनेट नोड्स के उपकरणों पर नजर रहेगी।
इसके अलावा 1,500 एयरगैप्ड नोड्स (Airgapped Nodes) और 2,000 उपकरणों का नेटवर्क, इन सबकी कार्यप्रणाली पर केंद्रीयकृत तरीके से सर्विलांस हो सकेगी।
रैनसमवेयर से सुरक्षित रहेगा संसद भवन का डेटा
साइबर हमले (Cyber Attack) के तहत फिशिंग और रैनसमवेयर (Phishing & Ransomware) की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
फिशिंग से तो बचा जा सकता है, लेकिन रैनसमवेयर (Ransomware) यानी फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर (Software), ये किसी भी निजी व सरकारी संस्थान को मुसीबत में डाल देता है।
इसके माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम (Computer System) की फाइलों को एनक्रिप्ट (Encrypt Files) कर दिया जाता है।
यानी Data, Hack हो जाता है। इसके बाद फिरौती मांगी जाती है। अगर कोई फिरौती दे देता है तो उसका डेटा वापस आ जाता है।
जो नहीं देता, उसका डेटा नष्ट कर दिया जाता है। ऐसे में अगर किसी के पास बैकअप फाइल नहीं है तो वह बड़ी मुसीबत में फंस सकता है।
नए संसद भवन में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-IN) की मदद से Ransomware और Phishing के खतरे को काफी हद तक खत्म कर दिया गया है।
साइबर अटैक को रोकने के लिए केंद्र सरकार हर संभव कर रही प्रयास
देश में Cyber Attack को रोकने के लिए केंद्र सरकार, हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद डेटा में सेंध लग रही है।
BJP की वेबसाइट हैक हो चुकी है। संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट को भी हैक कर लिया गया था।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) भी साइबर अटैक से नहीं बच सका। रक्षा, विदेश मंत्रालय और केंद्रीय जांच एजेंसियों के कंप्यूटरों पर भी साइबर हमला हुआ है।
AIIMS के ई-हॉस्पिटल सर्वर पर हुआ था बड़ा साइबर हमला
पिछले साल विदेशी हैकरों द्वारा दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के ई-हॉस्पिटल सर्वर (e-Hospital Server) पर बड़ा साइबर हमला किया गया था।
कई दिनों तक AIIMS का डिजिटल सिस्टम (Digital System) पटरी पर नहीं आ सका। रक्षा मंत्रालय पर भी हमले का प्रयास हुआ।
यहां पर अधिकारियों के पास NIC के नाम से E-mail भेजी गई। एक लिंक भी अटैच था।
पता चला कि NIC द्वारा ऐसी कोई मेल नहीं भेजी गई है। जल शक्ति मंत्रालय और ‘स्वच्छ भारत’ के Twitter भी साइबर हमले से नहीं बच सके।
नई दिल्ली में आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (Counter-Terrorism Financing) के लिए तैयार MHA की वेबसाइट में भी सेंध लगाने का प्रयास हुआ था।
मजबूत साइबर सिक्योरिटी प्लेटफार्म (Cyber Security Platform) ने हैकरों को कामयाब नहीं होने दिया।