खूंटी: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास (Raghuvar Das) ने कहा कि आज सरना धर्म, संस्कृति और परंपरा पर दो तरफा हमला हो रहा है।
एक ओर ईसाई मिशनरियों द्वारा भय, प्रलोभन देकर और बहला-फुसलाकर सरना समाज के लोगों का धर्मांतरण कर उन्हें उनकी संस्कृति से दूर किया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर रोहंग्यिा मुसलमान भोलेभाले गरीब आदवासियों को ठग-फुसला कर उनसे शादी-विवाह कर सरना संस्कृति पर हमला कर रहे हैं, लेकिन आबुआ राज में बैठे बबुआ मुख्यमंत्री को इसकी कोई चिंता नहीं है।
सरना संस्कृति को बचाने के लिए उलगुलान की जरूरत
पूर्व मुख्यमंत्री गुरुवार को तोरपा प्रखंड के कमड़ा सिरका टोली गांव में अखिल भारतीय सरना समाज, सरना सोतो: समिति, सरना संगोम समिति और आदिवासी विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित मुंडा पाहन सम्मेलन सह भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) शहादत दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना संस्कृति को बचाने के लिए उलगुलान की जरूरत है। गांव के 12 नाबालिग बच्चों के धर्मांतरण का विरोध करने वाले कमड़ा के ग्राम प्रधान धनी गुड़िया और दुलारी बारला की प्रशंसा करते हुए रघुवर दास ने कहा कि हम सब भगवान बिरसा मुंडा के वंशज हैं, जिन्होंने मात्र 25 वर्ष की उम्र में ही मुंडा संस्कृति, धर्म और पंरपरा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, उसी प्रकार धनी गुड़िया और दुलारी बारला अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए समाज तोड़ने वाले तत्वों के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं, इनका स्वागत किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें आजादी मिली और अलग राज्य मिला, तो यह देन हमारे आदिवासी पूर्वजों की है।
सरना संस्कृति को जानने के लिए बिरसा मुंडा को जानना जरूरी : कोचे मुंडा
तोरपा के विधायक कोचे मुंडा (Koche munda) ने कहा कि सरना संस्कृति को समझने के लिए हमें भगवान बिरसा मुंडा को जानना और सीखना होगा।
उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने आखिर उलगुलान क्यों किया? सिर्फ अपनी संस्कृति, धर्म और परंपरा को बचाने के लिए, इसे हमें समझना होगा। हमें भी गांव-गांव में बिरसा मुंडा बनाना होगा।