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बंगाल में TMC और कांग्रेस का तनाव कम होने का नहीं ले रहा नाम, वजह यह है कि…

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कोलकाता: भारत में कहीं और BJP विरोधी विपक्षी गठबंधन इतनी सारी अड़चनों और जटिलताओं से घिरा हुआ नहीं है, जितना पश्चिम बंगाल (West Bengal) में है।

एक ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee), जो राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सुप्रीमो भी हैं, ने स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में उनकी पार्टी का CPI(M) के साथ समझौते के कारण कांग्रेस को समर्थन देने का कोई सवाल ही नहीं है।बंगाल में TMC और कांग्रेस का तनाव कम होने का नहीं ले रहा नाम, वजह यह है कि… The tension between TMC and Congress in Bengal is not taking its name, the reason is that…

अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि…

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और BJP दोनों उनकी समान प्रतिद्वंद्वी हैं और इसलिए वह CPI(M) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ेंगी।

चौधरी के आह्वान को CPI(M) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम और वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस जैसे वाम मोर्चे के नेताओं ने समान उत्साह के साथ स्वीकार किया है।

दोनों को लगता है कि दक्षिणी राज्य केरल में भी वाम मोर्चा और कांग्रेस राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, 2024 की बड़ी लड़ाई के लिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को खारिज किया जा सकता है।

पर्यवेक्षकों का मानना है कि अधिक से अधिक चुनाव के बाद कोई सहमति हो सकती है जो फिर से होगी 2024 में कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।बंगाल में TMC और कांग्रेस का तनाव कम होने का नहीं ले रहा नाम, वजह यह है कि… The tension between TMC and Congress in Bengal is not taking its name, the reason is that…

TMC के लिए पश्चिम बंगाल सबसे मजबूत किला

राजनीतिक टिप्पणीकार निर्माल्य बनर्जी ने कहा, मुख्यमंत्री कह रही हैं कि बंगाल में कांग्रेस को समर्थन देने का कोई सवाल ही नहीं है।

इसमें सवाल यह है कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर क्या कोई अन्य राज्य है, जहां तृणमूल कांग्रेस सौदेबाजी करने की स्थिति में हो?

तृणमूल कांग्रेस के लिए पश्चिम बंगाल सबसे मजबूत किला है।

सत्तारूढ़ दल के रूप में यह स्वाभाविक है कि ममता कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व सीट साझा करने के लिए सहमत नहीं होंगी।

समझौते के मामले में कांग्रेस की सौदेबाजी की शक्ति कहीं अधिक

इसी तरह, कांग्रेस के दृष्टिकोण से उन्होंने कहा, वाम मोर्चा के साथ सीट साझा करने का समझौता तृणमूल कांग्रेस के साथ होने की तुलना में अधिक तार्किक है।

तृणमूल कांग्रेस के साथ सौदेबाजी में देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व मौजूदा कांग्रेस सांसदों के साथ अधिकतम 2 सीटें हासिल कर सकता है।

लेकिन वाम मोर्चे के साथ समझौते के मामले में कांग्रेस की सौदेबाजी की शक्ति कहीं अधिक होगी।

राजनीतिक टिप्पणीकार सब्यसाची बंद्योपाध्याय का मानना है कि 2004 में UPA-1, 2009 में UPA-2 और 2024 के लिए प्रस्तावित UPA-3 के गठबंधन समीकरण पश्चिम बंगाल के परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल अलग हैं।बंगाल में TMC और कांग्रेस का तनाव कम होने का नहीं ले रहा नाम, वजह यह है कि… The tension between TMC and Congress in Bengal is not taking its name, the reason is that…

कांग्रेस और वाम मोर्चा नेतृत्व दोनों के बीच एक गुप्त समझ

बंद्योपाध्याय के अनुसार, 2004 में पश्चिम बंगाल में BJP-तृणमूल कांग्रेस गठबंधन, वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय लड़ाई देखी गई थी।

उन्होंने कहा, हालांकि, अलग-अलग चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस और वाम मोर्चा नेतृत्व दोनों के बीच एक गुप्त समझ थी।

मौजूदा पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी जैसे CPI(M) नेता लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे थे, जहां CPI(M) BJP से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं थी।

इसी तरह की पारस्परिकता दिवंगत प्रणब मुखर्जी जैसे शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने दिखाई थी।

साल 2009 में पश्चिम बंगाल के परिप्रेक्ष्य के अनुसार गठबंधन समीकरण फिर से अलग था।

उस वर्ष राज्य में फिर से कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस गठबंधन, वाम मोर्चा और भाजपा के बीच चतुष्कोणीय चुनावी लड़ाई थी।

उस चुनाव ने लाल रंग के अंत को चिह्न्ति किया था। बंद्योपाध्याय ने कहा, पश्चिम बंगाल में वर्चस्व अंतत: 2011 के विधानसभा चुनावों में राज्य में 34 साल के वाम मोर्चा शासन के पतन के साथ समाप्त हो गया।

बंद्योपाध्याय ने कहा, संकेतों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस, BJP और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के बीच त्रिकोणीय लड़ाई होगी।

उन्होंने कहा, अब यह देखना होगा कि BJP या गठबंधन राज्य में गेम-चेंजर बनकर उभरता है या नहीं।

CPI(M) एक बेहद संगठित ताकत

राजनीतिक विश्लेषक अमल सरकार का मानना है कि कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन की स्थिति में वाममोर्चा की बजाय कांग्रेस को फायदा होने की संभावना अधिक है।

उन्होंने कहा, CPI(M) या वाम मोर्चा एक बेहद संगठित ताकत है। इसका निरंतर समर्पित वोट बैंक भी है, जो अपने सबसे बुरे समय में भी लाल सेना को वोट देता रहा है।

इसलिए वाम मोर्चे के लिए अपनी पारंपरिक ताकत को जुटाना आसान होगा गठबंधन फॉर्मूले के हिस्से के रूप में मतदाता कांग्रेस उम्मीदवार के पीछे हैं।

लेकिन मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस वाम मोर्चे के पीछे अपने पारंपरिक मतदाताओं की समान लामबंदी हासिल कर सकती है।

सागरदिघी उपचुनाव परिणाम एक तरह से तृणमूल कांग्रेस के लिए एक स्पष्ट संकेत था कि अगर समर्पित अल्पसंख्यक वोट बैंक 2021 में BJP की प्रचंड लहर से निपटने में मदद कर सकता है, तो वही मतदाता राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं।

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