रांची: निर्वाचन आयोग द्वारा राजभवन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) मामले में भेजे गए बंद लिफाफे में क्या है इसका खुलासा अबतक नहीं हो पाया है लेकिन इस बंद लिफाफा के खुलने से पहले झारखंड की राजनीति (Politics) का तापमान अपने चरम पर है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लाभ के पद पर रहते हुए खनन का पट्टा हासिल करने के मामले में निर्वाचन आयोग (Election Commission) की रिपोर्ट पर राज्यपाल का निर्णय आना बाकी है।
झारखंड की सियासत के लिए आज अहम दिन है। इसको लेकर राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक मंथन जारी है।
Office Of Profit मामले में चुनाव आयोग का निर्णय राजभवन पहुंचने के बाद, राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजभवन बुलाया जा सकता है।
कुछ विधायकों को छोड़कर लगभग सभी विधायक पहुंच गए
राजभवन द्वारा संभावित बुलावे से पहले सत्ताधारी दल क्राइसिस मैनेंजमेंट में जुट गयी है। मुख्यमंत्री आवास में UPA MLAs की बैठक चल रही है। हर पहलू पर गंभीरता से चर्चा हो रही है।
जानकारी के अनुसार कानूनविदों से भी मुख्यमंत्री रायशुमारी कर रहे हैं। बैठक में किसी भी हाल में सत्ता महागठबंधन के हाथों ही रहे इसपर मंथन चल रहा है।
हेमंत सोरेन की सदस्यता जाने की स्थिति में क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं इसपर गहन चर्चा चल रही है। बैठक में कुछ विधायकों को छोड़कर लगभग सभी विधायक पहुंच गए हैं। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम को कांग्रेस विधायकों (Congress MLAs) को एकजुट रखने का जिम्मा दिया गया है।
राजभवन से जानकारी मिलेगी, तब फैसला लिया जायेगा
हालांकि, इसी बीच मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि भाजपा पर्दे के पीछे से खेलती है जबकि झामुमो फ्रंट पर खेलता है। जब से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, तब से उसे अस्थिर करने की कोशिश हो रही है। नंबर हमारे साथ है तो दिक्कत कहां है।
झामुमो नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि अभी तक निर्वाचन आयोग के फैसले की कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। अगर जो खबरें आ रही हैं वह सही है, तब भी रहेगी महागठबंधन की सरकार।
एक सवाल के जवाब में Marandi ने कहा कि राज्य में कोई सियासी समस्या नहीं है और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार अपना काम करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि कोई सेकंड या थर्ड प्लान नहीं बना है। क्योंकि, इसकी जरूरत ही नहीं है। जब राजभवन से जानकारी मिलेगी, तब फैसला लिया जायेगा।