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अगर ऐसा होता तो बदल जाता उत्तर प्रदेश चुनाव का नतीजा!, सपा 77 सीटों पर 200 से 13 हजार के अंतर से हारी

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे जारी हो गए हैं और भाजपा ने एक बार फिर जीत हासिल कर ली है।

असद्उद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इण्डिया मजलिस-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) 8 सीटों पर भाजपा सपा के हारने की वजह बनी!

इस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में 103 सीटों पर लड़कर भले ही कोई सीट नहीं जीत पाई हो मगर वह इन दलों के लिए नुकसानदेह साबित हुई। 1000 वोटों के कम अंतर से जीत-हार के फैसले वाली सीटों के आंकड़ों पर गौर करें तो एआईएमआईएम ने भाजपा और सपा दोनों का नुकसान किया।

हालांकि 2017 के विधान सभा के चुनाव के मुकाबले इस बार इस पार्टी के वोट प्रतिशत में खासा इजाफा हुआ। असदउद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में इस बार फिर आकर मुसलमानों को शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार से दूर रखे जाने का मुद्दा छेड़कर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश भी की।

मुस्लिम समाज के ओबीसी वर्ग की राजनीतिक भागीदारी का सवाल उठाकर ओवैसी ने सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास भी किया। मगर यह सारे हथकण्डे काम नहीं आए।

BJP को एक बार फिर मिली शानदार जीत

भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर शानदार जीत हासिल हुई है। समाजवादी पार्टी गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है।

BJP गठबंधन को 273 सीटें मिली हैं। बसपा को एक और कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं। वहीं कई ऐसी भी सीटें रहीं हैं जिन्हें सपा गठबंधन को बहुत कम अंतर से हार मिली है।

अब पार्टियां इस सभी सीट के हिसाब में लग गई हैं कि उनसे कहां चूक हुई जिससे उन्हें सत्ता तक पहुंचने का जादुई आंकड़ा नहीं मिल पाया। सर्वाधिक सीटें अपने दम पर जीत कर भाजपा नंबर वन और सपा दूसरे नंबर की की पार्टी बनी है।

वोटों के हिसाब को समझने और सीटवार आकलन से यह पता चलता है कि सपा 77 सीटें में 200 से 13000 के अंतर से हारी है। इन सीटों को जीतने के लिए उसे 496408 वोट की जरूरत थी। मतलब ये कि अगर सपा को पांच लाख वोट और मिल जाते तो गठबंधन के सहारे वह 202 के आंकड़े तक पहुंच जाती और सरकार बना लेती।

ऐसे समझें आंकड़ों में

प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 202 सीटों की जरूरत होती है। भाजपा को 41.03 फीसदी यानी 3,80,51,721 वोट मिला।

इन वोटों के सहारे वह 255 सीट पाने में कामयाब रही। सपा को कुल वोट 32.06 फीसदी यानी 2,95,43,934 मिले। इससे सपा गठबंधन को 125 सीटें मिली। सत्ता तक पहुंचने के लिए उसे 77 सीटों की और जरूरत थी, लेकिन वहां तक नहीं पहुंच सकी। धामपुर, कुर्सी, बीसलपुर, नकुड़ व कटरा ऐसी सीटें हैं जिसे सपा 200 से 400 वोटों के अंतर पर हार गई।

ऐसी सीटें जहां 2000 हजार के कम अंतर से मिली हार

चांदपुर
राम नगर
इसौली
दिबियापुर
डोमरियागंज
जसराना
इटवा
गाजीपुर
बस्ती सदर
बिसौली

सपा जहां 200 से 1000 के कम अंतर से मिली हार

धामपुर 203, कुर्सी 217, बीसलपुर 307, नकुड़ 315, कटरा 357, शाहगंज 719, मुरादाबाद नगर 728, सुल्तानपुर 1009, मानिकपुर 1048,छिबरामऊ 1111 हैं।

1000 से 5000 के कम अंतर से मिली हार

मड़ियाहूं, सीतापुर, बदलापुर, श्रावस्ती, औराई, सलोन, फूलपुर, बिंदकी, अलीगंज, इटावा, बहराइच, जलेसर, मधुबन, जलालाबाद, तिर्वा, भोगांव, मोहम्मदी हैं।

5000 से 10000 के कम अंतर से मिली हार

कोल, महमूदाबाद, मेंहदावल, खागा, बीकापुर, राबर्टसगंज, मिलक, कन्नौज, ज्ञानपुर, दुद्धी, शाहाबाद, गोंडा, नरैनी, मैनपुरी, पीलीभीत, देवबंद, रायबरेली, हस्तिनपुर, सहारनपुर नगर, मलिहाबाद, मेरठ दक्षिण, गोपामऊ, जौनपुर, सिकंदरराव, सांडी, नवाबगंज, चकिया, शाहजहांपुर, करछना, दातागंज, लंभुआ, ददरौला व सिधौली शामिल हैं।

10000 से 13000 के कम अंतर से मिली हार

बिसवां, वाराणसी दक्षिण, बरेली कैंट, सैयदराजा, बलरामपुर, बदायूं, धनौरा, भोगनीपुर, पयागपुर, महोली, नानपारा, बारा, खलीलाबाद, धौलाना, अलीगढ़ व आयाशाह शामिल हैं।

अपनी जमानत भी नहीं बचा सके ये

देश की सबसे पुरानी पार्टी और 90 के दशक से पहले तक जमकर यूपी में सत्ता पाने वाली कांग्रेस के 399 उम्मीदवारों में से 387 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 144 महिला उम्मीदवारों को कांग्रेस ने उतारा, जिनमें से 137 अपनी जमानत नहीं बचा पाई, यानी इतने वोट भी नहीं जुटा पाईं कि चुनाव लड़ने के लिए जमा पैसा वापस मिल पाता।

दलित वोटों की दावेदारी करने वाली मायावती की पार्टी ने अकेले 403 यानी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन 290 सीटों पर मायावती के कैंडिडेट अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।

अखिलेश यादव के दो अहम सहयोगी दल आरलएडी और राजभर की पार्टी के 8 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। जबकि बीजेपी के दो प्रमुख सहयोगी अपना दल एस और निषाद पार्टी के किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त होने की नौबत नहीं आई।

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