झारखंड

इंटेलिजेंस को रांची हिंसा मामले की जानकारी थी या नहीं?

सरकार अदालत को बताए, पूरे मामले पर हाई कोर्ट ने की टिप्पणी

रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में शुक्रवार को गत 10 जून को रांची के मेन रोड में हुए हिंसा मामले की सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि इंटेलिजेंस को मामले की जानकारी थी या नहीं, सरकार इसकी जानकारी दें।

हिंसा के आरोपित गिरफ्तार नवाब चिश्ती पर सरकार की ओर से कहा गया कि मंत्री के साथ भले ही नवाब की तस्वीर हो, लेकिन मंत्री की नवाब के साथ कोई जान-पहचान नहीं है।

इस पर कोर्ट (Court) ने कहा कि घटना के तार बड़े लोगों के साथ जुड़े हुए हैं। कोई किसी के साथ कैसे फोटो खिंचवा सकता है।

अदालत से इस मामले की NIA से जांच की मांग की गयी

पोस्टर मामले पर कोर्ट ने कहा कि पोस्टर लगना चाहिए या नहीं इस पर फैसला नहीं होगा। इस मामले पर सरकार जवाब दे।

कोर्ट ने कहा कि एक साथ कैसे दस हजार लोग जमा हो गए। कोर्ट ने सरकार, घायल, मृतकों और कितनी राउंड गोलियां चलीं, इसकी भी जानकारी मांगी है।

उल्लेखनीय है कि इससे एक दिन पहले हाई कोर्ट ने राज्य सरकार (State government) के खिलाफ टिप्पणी करते हुए जवाब मांगा था। हाई कोर्ट ने विधि-व्यवस्था की खराब स्थिति के मद्देनजर सरकार को फटकार लगाई थी।

कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। हाई कोर्ट में इस मामले से जुड़ी याचिका आरटीआई एक्टिविस्ट पकंज कुमार यादव (Pankaj Kumar Yadav) ने दाखिल की है।

दायर याचिका में पंकज कुमार यादव ने हैदराबाद के सांसद असददुद्दीन ओवैसी, रांची के उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआइए, ईडी और आयकर आयुक्त को पार्टी बनाया है।

साथ ही अदालत से इस मामले की NIA से जांच की मांग की गयी है। इस याचिका में सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम देने की बात की गयी है, जिसमें संगठनों के फंडिंग (Funding) की बात भी कही गयी है।

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