गाजियाबाद: अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़ गाजियाबाद में आज हिंदू धर्म अपना लिया।
यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने उन्हें पूरे धार्मिक रीति रिवाज से सनातन धर्म में शामिल कराया है। वहीं धर्म परिवर्तन होने के बाद वसीम रिजवी अब त्यागी हो गए हैं।
गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर में अपना धर्म परिवर्तन करने के बाद वह अब त्यागी बिरादरी में शामिल हुए और जानकारी के अनुसार उनका नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रखा गया है।
इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, हिंदू होना एक जीवन शैली है। कानूनी तरीके से कोई भी अपना धर्म आसानी से बदल सकता है लेकिन किसी मंदिर में जाकर किसी खास संस्कार या प्रक्रिया के तहत पूरी तरह से हिंदू बनना संभव नहीं है। इसके लिए एक पूरी प्रक्रिया को अपनाना होता है।
दरअसल हाल ही में हरबीर नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) काफी सुर्खियों में रहे थे जब उन्होंने कुरान से 26 आयतें हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसके बाद उन्होंने काफी धमकियां भी मिली और मुस्लिम समाज के लोगों ने इसपर आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि अदालत में सुनवाई के दौरान उनकी याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था।
उनके मुताबिक, हर दिन उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलती रहती थी और इस्लाम से निकाल ही दिया गया था और हिंदू धर्म में जितनी अच्छाइयां हैं वह किसी और धर्म में नहीं पाई जाती।
धर्म परिवर्तन करने के बाद उन्होंने मीडिया से आगे बात करते हुए कहा कि, आज से वह सिर्फ हिंदुत्व के लिए काम करेंगे। वहीं मुसलमानों का वोट किसी भी सियासी पार्टी को नहीं जाता है। मुसलमान केवल हिंदुत्व के खिलाफ और हिंदुओं को हराने के लिए वोट करते हैं।
इससे पहले उन्होंने एक ऐलान भी किया था, जिसमें अपने मरने के बाद उन्होंने हिंदू रीति रिवाज के तहत अंतिम संस्कार कराने की इच्छा जाहिर की। साथ ही उनकी चिता को यति नरसिम्हानंद ही अग्नि देने की भी बात कही थी।
दरअसल उनको इस बात का डर था कि कई लोग उनके मरने के बाद उनके शरीर को दफनाने नहीं देंगे जिसके बाद उन्होंने इस बात का ऐलान किया था।