कोलकाता: दल बदल को लेकर विवादों में घिरे पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल राय को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी ने शुक्रवार को चौंकाने वाला फैसला सुनाया है।
शुक्रवार को मुकुल की सदस्यता खारिज किये जाने संबंधी भाजपा की मांग पर फैसला देते हुए स्पीकर ने कहा है कि मुकुल फिलहाल भाजपा में ही हैं और उनकी विधानसभा सदस्यता खारिज नहीं होगी।
दरअसल भाजपा के टिकट पर नदिया जिले के कृष्णानगर उत्तर सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले मुकुल रॉय चुनाव के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की उपस्थिति में तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर ली थी।
उसके बाद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने उनके खिलाफ दलबदल अधिनियम के तहत मुकुल राय की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग करते हुए अध्यक्ष के पास आवेदन किया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहूंचा तो सर्वोच्च अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को इस पर जल्द फैसला लेने को कहा था। शुक्रवार को इस मामले में विमान बनर्जी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया है।
अभी तक के मौजूदा दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मुकुल रॉय फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में ही हैं। इसलिए उनकी विधानसभा सदस्यता खारिज नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में नई सरकार गठन के बाद मुकुल रॉय को ही विधानसभा की लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाया गया था जो अमूमन विपक्ष के विधायक को मिलता है।
इसे लेकर भी काफी सवाल खड़े हुए थे जिस पर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कहा गया था कि आधिकारिक तौर पर पर मुकुल भारतीय जनता पार्टी में ही हैं इसलिए उनका निर्णय बिल्कुल सही है।
अब एक बार फिर जब उन्होंने यह फैसला सुनाया है कि मुकुल भाजपा में ही हैं और उनकी विधानसभा सदस्यता खारिज नहीं होगी तो आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
तृणमूल मे कहा : अध्यक्ष का फैसला अंतिम, भाजपा ने दी कोर्ट जाने की धमकी
इधर मुकुल रॉय पर विमान बनर्जी के इस फैसले को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर तकरार तेज हो गई है।
तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि मुकुल के संबंध में विमान बनर्जी ने जो फैसला लिया है वही अंतिम है और पार्टी इसका स्वागत करती है।
इधर भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रताप बनर्जी ने कहा है कि अध्यक्ष का यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है।
वह सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के हैं और उनसे निष्पक्ष फैसले की उम्मीद बेमानी थी इसलिए भाजपा अब कोर्ट का रुख करेंगी।