नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन के बीच जंग को तीन महीने से अधिक का अंतराल हो गया है। वहीं मौसमी फैक्टर्स (Seasonal factors) ने दुनिया के सामने में फूड क्राइसिस पैदा कर दिया है।
सभी देश पहले अपनी जरूरतें पूरा करने पर ध्यान दे रहे हैं। भारत ने भी इसी कारण गेहूं समेत कुछ जरूरी चीजों के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी हैं।
हालांकि भारत के इस फैसले का ग्लोबल मार्केट (Global Market) में प्रतिकूल असर पड़ा है। निर्यात पर रोक लगाने के बाद गेहूं की वैश्विक कीमतें तेजी से बढ़ी हैं और रिकॉर्ड हाई लेवल के पास पहुंच गई हैं।
संयुक्त राष्ट्र की फूड एजेंसी ‘फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO)‘ के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोनों देशों में गेहूं का उत्पादन कम रहने की आशंका है। इस बीच भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है।
इनके कारण मई में लगातार चौथे महीने गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं। मई में गेहूं की वैश्विक कीमतें 5.6 फीसदी बढ़ी हैं और अभी पिछले साल मई की तुलना में यह 56.2 फीसदी ज्यादा है।
मार्च 2008 के रिकॉर्ड लेवल से यह महज 11 फीसदी ही नीचे है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (Food and Agriculture Organization) ने कहा, ‘लड़ाई के चलते यूक्रेन में गेहूं का उत्पादन कम रहने की आशंका है।
इसके साथ ही कई अव्वल निर्यातक देशों में खराब मौसम के चलते उत्पादन प्रभावित होने की आशंका भी है। इन सब के बीच भारत ने निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया।
इन फैक्टर्स से गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ी हैं।’ हालांकि एक अच्छी बात है कि मोटे अनाजों की वैश्विक कीमतें मई में कुछ कम हुई हैं। हालांकि मई में 2.1 फीसदी की नरमी के बाद भी इनकी कीमतें साल भर पहले से 18.1 फीसदी ज्यादा हैं।
अनाजों के मामले में लोगों को राहत नहीं मिली
एफएओ ने कहा कि मई में ओवरऑल प्राइस इंडेक्स (Overall Price Index) एक महीने पहले की तुलना में 0.6 फीसदी कम होकर 157.4 अंक पर आ गया है।
हालांकि यह साल भर पहले यानी मई 2021 की तुलना में 22.8 फीसदी ज्यादा ही है। दूसरी ओर अनाजों का प्राइस इंडेक्स मई महीने में अप्रैल 2022 से 2.2 फीसदी और मई 2021 से 29.7 फीसदी बढ़कर 173.4 अंक पर रहा है।
इससे पता चलता है कि खाने-पीने की चीजों की औसत कीमतें भले ही कम हुई हैं, लेकिन अनाजों के मामले में लोगों को राहत नहीं मिली है।
संगठन ने बताया कि मई 2022 में चावल की कीमतें भी लगातार पांचवें महीने बढ़ी हैं। उसने बताया कि लगभग
हर मेजर मार्केट सेगमेंट (Major Market Segment) में कोटेशन ऊपर चढ़ा है, लेकिन राहत की बात है कि सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली वेरायटी इंडिका की कीमतें खासकर भारत में पर्याप्त सप्लाई के कारण सबसे कम 2.6 फीसदी बढ़ी हैं।
दूसरी ओर मक्के और चीनी के भाव में नरमी आई है। अमेरिका में फसल की हालत सुधरने, अर्जेंटीना में मौसमी आपूर्ति आने और ब्राजील में कटाई का सीजन शुरू हो
लगातार दो महीने चीनी की वैश्विक कीमतें तेजी से बढ़ी
ने से मक्के की कीमतें मई में 3 फीसदी कम हुई हैं, लेकिन साल भर पहले की तुलना में ये अभी भी 12.9 फीसदी ऊपर हैं।
दुनिया भर में पर्याप्त उपलब्धता बनी रहने के संकेत और भारत में बंपर उपज की उम्मीद ने चीनी की कीमतों को नरम किया है।
इनके अलावा इथेनॉल की कम कीमतें और डॉलर के मुकाबले ब्राजील की करेंसी (Currency) के कमजोर होने से भी मदद मिली है।
इन फैक्टर्स ने मई 2022 में चीनी की कीमतों को एक महीने पहले की तुलना में 1.1 फीसदी कम किया है। अब इसका प्राइस इंडेक्स (Price Index) अंक पर आ गया है। इससे पहले लगातार दो महीने चीनी की वैश्विक कीमतें तेजी से बढ़ी थीं।