Export Duty on Parboiled Rice: भारत ने पैराब्वाइल्ट राइस (Paraboiled Rice) पर 20% निर्यात शुल्क लगाया है।
अनुमान है कि ये कदम कीमतों को स्थिर करने और घरेलू बाजार के भीतर इन्वेंट्री (Inventory) को मजबूत करने के लिए उठाया है।
वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना में इसकी पुष्टि की गई। यह कार्रवाई गैर-बासमती सफेद चावल और टूटे चावल (Non-Basmati White Rice and Broken Rice) की शिपिंग पर पहले लगाए गए प्रतिबंध के बाद की गई है।
उसकी घोषणा पहले सितंबर 2022 और उसके बाद पिछले महीने में की गई थी। ताकि इस प्रमुख आहार की बढ़ती कीमतों को कम किया जा सके।
विश्व के पैराब्वाइल्ड चावल में भारत की हिस्सेदारी
वर्तमान में पूरे भारत में पैराब्वाइल्ड चावल (Paraboiled Rice) का भाव ₹37-38 प्रति किलोग्राम और बासमती चावल ₹92-93 पर उपलब्ध है।
व्यापारियों ने कहा कि फ्री-ऑन-बोर्ड पैराब्वाइल्ड चावल (Free-on-Board Parboiled Rice) की कीमत लगभग 500 डॉलर प्रति टन और बासमती की किस्मों के लिए 1,000 डॉलर प्रति टन है। वैश्विक पैराब्वाइल्ड चावल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25-30% है।
चावल की खुदरा महंगाई जुलाई में बढ़कर 12.96% हो गई, जो जून में 12% और जुलाई 2022 में 4.3% रही थी।
घरेलू बाजार में कीमतों पर इजाफा
रूस द्वारा काला सागर अनाज समझौते से बाहर निकलने के तीन दिन बाद, सरकार द्वारा 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के बावजूद घरेलू स्तर पर चावल की बढ़ी हुई कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं।
अप्रैल के बाद से घरेलू बाजार में पैराब्वाइल्ड चावल की कीमतें 19% और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 26% बढ़ी हैं। जबकि चावल की किस्म का निर्यात वॉल्यूम और मूल्य (Export Volume and Value) क्रमशः 21% और 35% से अधिक बढ़ गया है।
निर्यात में वृद्धि से किसपर पड़ेगा असर
इसके कारण वर्तमान वित्तीय अवधि के दौरान भारत के पैराब्वाइल्ड चावल (Paraboiled Rice) के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इसका निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि के दौरान दर्ज किए गए 25.8 लाख मीट्रिक टन की तुलना में लगभग 31 लाख मीट्रिक टन है। सरकारी आंकड़ों से से जानकारी मिली है।
भारत के चावल पर प्रतिबंध का असर बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में आर्थिक रूप से वंचित आबादी पर सबसे अधिक तीव्र रूप से महसूस किया गया है।
जो भारतीय सफेद चावल (White Rice) पर निर्भर हैं। इसी तरह, बेनिन, सेनेगल, टोगो और माली सहित अफ्रीकी देश, जो मुख्य रूप से टूटे हुए चावल का आयात करते हैं। वे भी गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
क्यों बढ़ा एक्सपोर्ट ड्यूटी
पिछले महीने भारत द्वारा लागू किए गए निर्यात प्रतिबंध से वैश्विक चावल की कीमतों (Global Rice Prices) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसमें 15-25% की वृद्धि दर्ज की गई है।
नतीजतन, पश्चिम अफ्रीका के देशों को अपनी घरेलू खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय पैराब्वाइल्ड चावल (Paraboiled Rice) का उपयोग करना शुरू करना पड़ा है।
यह बदलाव थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान (Thailand, Vietnam and Pakistan) जैसे भारत के प्रतिस्पर्धियों की ओर से कीमतों के बढ़ाये जाने के कारण हुआ है।