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लड़कियों के ही रात में बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों?, हाईकोर्ट ने किया सवाल

कोच्चि: केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने बुधवार को सवाल किया कि सिर्फ लड़कियों (Girls) और महिलाओं (Ladies) के ही रात में बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों है।

साथ ही, राज्य सरकार (State Government) को यह सुनिश्चित करने को कहा कि उन्हें भी लड़कों और पुरुषों (Boys and Men) के समान आजादी मिले।

न्यायमूर्ति (Justice) दीवान रामचंद्रन (Dewan Ramachandran) ने कहा कि रात से डरने की जरूरत नहीं है और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंधेरा होने के बाद हर किसी का बाहर निकलना सुरक्षित रहे।

कोषीकोड मेडिकल कॉलेज (Kozhikode Medical College) की पांच छात्राओं की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की।

अदालत (Court) ने सवाल किया कि सिर्फ महिलाएं या लड़कियों को ही नियंत्रित करने की जरूरत क्यों है, लड़कों और पुरुषों को क्यों नहीं। साथ ही, के छात्रावासों (Hostels) में लड़कियों के लिए रात साढ़े नौ बजे के बाद बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों लगाई।

क्या रात साढ़े 9 बजे के बाद बड़ा संकट आ जाएगा?

अदालत (Court) ने मामले की सुनवाई के दौरान सवाल किया कि सिर्फ महिलाएं या लड़कियों को ही नियंत्रित करने की आवश्यकता क्यों है और लड़कों और पुरुषों को क्यों नहीं।

साथ ही, मेडिकल कॉलेज (Medical college) के छात्रावासों में रहने वाली लड़कियों के लिए रात साढ़े नौ बजे के बाद बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों लगा दी गई।

उच्च न्यायालय (Court) ने कहा कि लड़कियों को भी इस समाज में रहना है। क्या रात साढ़े नौ बजे के बाद बड़ा संकट आ जाएगा? सरकार का दायित्व है कि वह परिसर (कैम्पस) को सुरक्षित रखे।

साथ ही अदालत ने सवाल किया कि क्या राज्य में ऐसा कोई छात्रावास (Hostel) है जहां लड़कों के बाहर निकलने पर पाबंदी है।

अदालत (Court) ने यह भी कहा कि समस्याएं पुरुष पैदा करते हैं, उन्हें बंद करके रखा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति रामचंद्रन (Justice Ramachandran) ने यह भी कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि वह पाबंदियों पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि उनकी कोई बेटी नहीं है। न्यायाधीश (Judge) ने कहा कि उनके कुछ रिश्तेदार हैं जो लड़कियां हैं और दिल्ली के छात्रावासों (Hostels) में रहती हैं।

जहां वे पढ़ाई करती हैं और वहां इस तरह की पाबंदियां नहीं हैं। सरकार ने कहा कि लड़कियों के माता-पिता की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं।

अदालत (Court) ने कहा कि वह महिलाओं और लड़कियों (Women and Girls) के माता-पिता की चिंताओं को ध्यान में रख रही है, लेकिन साथ ही राज्य (State) में कुछ अन्य छात्रावास भी हैं, जहां पाबंदियां नहीं है।

अदालत (Court) ने पूछा कि क्या वहां रहने वाले बच्चों के माता-पिता नहीं हैं? अदालत ने यह भी कहा कि अगर माता-पिता लड़कियों या महिलाओं को रात में बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं तो वह सरकार को दोष नहीं देगी।

अदालत ने कहा कि हमें रात से नहीं डरना चाहिए। जो आजादी (Independence) लड़कों को दी गई है, वह लड़कियों को भी दी जानी चाहिए।

महिला याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया

महिला याचिकाकर्ताओं (Women Petitioners) ने यह भी तर्क दिया है कि 2019 के सरकारी आदेश को केवल उनके छात्रावास (Hostel) में लागू किया जा रहा है, पुरुषों के छात्रावास (Hostel) में नहीं।

उन्होंने अदालत से मेडिकल कॉलेज (Medical college) को यह निर्देश देने की भी मांग की है कि उन्हें न्याय, निष्पक्षता और अच्छे विवेक के हित में बिना किसी समय प्रतिबंध के रीडिंग रूम (Reading Room) या स्टडी हॉल (Study Hall), कैंपस से जुड़े पुस्तकालय और फिटनेस सेंटर (Fitness Center) तक पहुंचने की अनुमति दी जाए।

कोषीकोड मेडिकल कॉलेज (Kozhikode Medical College) की पांच छात्राओं की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की।

याचिका के जरिये 2019 के उस सरकारी आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने रात साढ़े नौ बजे के बाद उच्चतर शिक्षण संस्थानों के छात्रावास में रहने वाली लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। कोर्ट ने पूछा कि सिर्फ महिलाएं या लड़कियों को ही नियंत्रित करने की जरूरत क्यों है।

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